Book Title: Subhashit Shloak Tatha Stotradi Sangraha
Author(s): Bhavvijay
Publisher: Bhupatrai Jadavji Shah
________________
५८
मुनिराज श्री भावविजयजी महाराजनुं जीवन चरित्र.
निरतिचार संयम पाळवा, वैराग्य भावनाने दृढ करवा, अने वीतराग प्रभुना शासनने शोभाववा माटे गुरुदेव श्री भावविजयजी महाराजे बहुज शांतिथी उपदेश आप्यो हतो. उपकरणनी जुदी जुदी बोलीना आशरे पांचसो रूपियानी आवक थइ हती; अने शा. धुराजी उमाजी, गाम-धारवाड, मारवाडमां गाम-तखतगढवाळा तरफथी श्रीफळनी प्रभावना करवामां आवी. मुनिराज श्री भावविजयजी महाराज बन्ने शिष्य-रत्नो साथे ए रात्रि त्यांज रह्या. बीजे दिवसे श्रीसंघ तरफथी हाथी, घोडेस्वारो, अने बेंड विगेरे वाजिंत्रो साथे घणाज ठाठ-माठथी सामैयुं करवामां आव्यु, अने बन्ने नव-दीक्षित शिष्यो साथे मुनिराज श्री भावविजयजी महाराज वाजते-गाजते अने जयोद्घोषणा बच्चे धारवाड शहेरना उपाश्रयमां पधार्या. पदवी प्रदान माटे श्रीसंघनो आग्रह, निरभिमानी महात्मा मुनिवर्ये देखाडेली
पोतानी लघुता अने निःस्पृहता.
आवी रीते प्रतिष्ठानुं महान् कार्य आप्रभावशाली महात्मानी आगेवानी नीचे घणीज धामधूमथी उत्साह-पूर्वक उजवायुं, वळी आ संयमशील शांतमूर्ति मुनिराजने सुपात्र अने वैरागी बे शिष्यरत्नो थया. तेथी तेमना गुणोथी आकर्षाइ प्रतिष्ठा अने दीक्षा-महोत्सव प्रसंगे पधारेला
Page Navigation
1 ... 373 374 375 376 377 378 379 380 381 382 383 384 385 386 387 388 389 390 391 392 393 394 395 396 397 398 399 400