Book Title: Subhashit Shloak Tatha Stotradi Sangraha
Author(s): Bhavvijay
Publisher: Bhupatrai Jadavji Shah
________________
६२ मुनिराज श्री भावविजयजी महाराजनुं जीवन चरित्र. केशव मंडली अति भली रे, अ०, संघ दियो सोभाग, दे०; सद्गुरुना उपदेशथी रे, उ०, उमेद सभामां गाय रे
देखोरी जिणंदा प्यारा, मुणिंदा प्यारा;
देखोरी जिणंदा पार्श्वनाथ, दे० जि० मु० ॥ १३ ॥ धारवाडथी बेलगाम, भिन्न भिन्न शहेरो तरफथी
आवेली चतुर्मास माटे विनति. मुनिराज श्री भावविजयजी महाराज धारवाडथी पोताना बन्ने शिष्यो साथे ग्रामानुग्राम विहार करता बेलगाम पधार्या. तेमणे रस्तामा पोताना ज्ञान-ध्यान उपरांत बन्ने नव-दीक्षितोने अध्ययन कराववानुं चालु करी दीधुं. कळी आ देशना वतनी लोकोने कनडी भाषामां जाहेर लेक्चरो आपी तेमने मांस-मदिरानो त्याग करावी सन्मार्गे दोरवानुं पोतानुं मुख्य ध्येय पण चालु राख्युं. अहीं चैत्र मासनी ओळीनो समय नजीक होवाथी व्याख्यानमां नवपद आराधनानुं माहात्म्य वांच्युं, मुनिवर्यनी देशनानी सचोट असर थवाथी बेलगामना घणा भाविक श्रावको अने श्राविकाओए नवपद-आराधनमा उत्साहभर्यो भाग लीधो, अने प्रतिवर्ष करतां आ वरसे अहीं आयंबिलनी तपस्या विशेष प्रमाणमां थइ. ____ ओळी पूर्ण थतां धारवाडना श्री संघ तरफथी चातुर्मास माटे विनति आवी, वळी बेलगामना श्री संघने थोडाज
Page Navigation
1 ... 377 378 379 380 381 382 383 384 385 386 387 388 389 390 391 392 393 394 395 396 397 398 399 400