Book Title: Subhashit Shloak Tatha Stotradi Sangraha
Author(s): Bhavvijay
Publisher: Bhupatrai Jadavji Shah

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Page 378
________________ श्री सिद्धक्षेत्र चिन्तामणि पार्श्वनाथनुं प्रतिष्ठा महोत्सव प्रसंगनुं स्तवन. ६१ लखी कागद कंकुपत्री आजे, कं०, देश विदेशरे मांय, दे० धारवाडनगरे ओच्छव भारी, ओ०, आइजोरे संघ तमाम, दे०३ देश विदेशथी आवियोरे, आ०, नर-नारीनो परिवार, दे० द्रव्य खरचियो उमंगथी रे, उ०, भरियो पुण्य भंडार, दे०४ भेटो भवी तुमे भावथी रे, भा०, भेटत भव दुःख जाय, दे०; ओच्छव तणी रचना कहुं रे, र०, सुणजो चित्त लगाय, दे० ५ हस्ती घोडा पालखी रे, पा०, सूर्य ने चन्द्रनी जोड, दे०; मोटर बगियां मोकली रे, मो०, बेन्ड घणो हुशियार, दे० ६ मंडप ती शोभा कहुं रे, शो०, पीठिका तणो मंडाण, दे०; समवसरण शोभा घणी रे, शो०, नाटक विध विध होय, दे० ७ झळके लाईट विजळी रे, वि०, रचनानो नहिं पार, दे० रंग दुरंगी धजा बावटा रे, वा०, घर घर मंगलाचार, दे० ८ दल देखी बादल चढियां, बा०, आव्या इन्द्र महाराज, दे०; रचना देखी चित्त उलसियां, चि०, वरसीने गया निज ठाम, दे०९ भावविजयजीना प्रतापथी रे, प्र०, शान्ति घणी सराय, दे०; प्रतिष्ठा विधि पूरण कीनी, पू०, फकीरचंद भल भाय, दे० १० ओगणीसें नव्यासीए रे, न०, फाल्गुण मास मोझार, दे०; शुदि बीज सोमवारने रे, सो, तखत बिराजे महाराज, दे० ११ भावविजयजी बोधिया रे, बो०, साकरचंद जीवराज, दे०; हीज दिवसे दीक्षा दीनी, दी०, सत्य जीब मुनिमहाराज, दे०१२

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