Book Title: Stotratmaka tatha Updeshatmaka Chotris Laghu Krutiono Samucchaya
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: ZZ_Anusandhan

View full book text
Previous | Next

Page 12
________________ अनुसन्धान ४४ आ तमाम लघु रचनाओना कर्ता श्रीरत्नसिंहसूरि छे, जे लगभग तमाम रचनाओना छेवाडे आवता नामाचरण थकी निश्चित छे, तेमनी परम्परा चन्द्रगच्छनी होवानुं 'धर्मसूरि छप्पय' नामक रचना द्वारा स्पष्ट ज छे. "जैन साहित्यनो संक्षिप्त इतिहास" (ई. १९३३, कर्ता : मो.द.देशाई, मुम्बई)ना पृष्ठ ३२४ मां मळता उल्लेख प्रमाणे, "चन्द्रगच्छना धर्मसूरि-रत्नसिंहसूरि-देवेन्द्रसूरिना शिष्य कनकप्रभे हैमन्याससारनो उद्धार कर्यो छे." कर्ताए सं. १२३७, १२३९ जेवी संवतो नोंधी छे उपरांत 'कुमारविहार' तेमज 'कुमारपालनी रथयात्रा'नुं वर्णन पण ते आपे छे, तेथी तेओ १३ मा शतकना पूर्वार्धमां विद्यमान होवानुं निश्चित थाय छे. क्र. १६, २१, २२, २५, ३३ - आ पांच रचनाओमां कर्तानुं नामाचरण 'पउमनाह' एवं जोवा मळे छे. आ ५मां 'कुमारविहार' वाळी अने 'रथयात्रावर्णन' वाळी रचनाओ पण समाविष्ट छे. एटले एवा अनुमान पर आववानुं थाय छे के कर्ता- दीक्षानुं मूळ नाम 'पउमनाह-पद्मनाभ' होवू जोईए, अने सूरिपदप्राप्ति-वेळाए तेमने 'रत्नसिंहसूरि' नाम आपवामां आव्युं होवू जोईए. वळी, सं. १२३० पूर्वे तेओ 'पउमनाह' तरीके ओळखाता हशे, अने ते गाळामा तेमने गणिपद पण मळ्युं हशे, जेनो संकेत २५ क्र.नी कृतिमांना 'पउमनाहगणिणा' एवा पदथी मळे छे. अने १२३० थी १२३७ ना वचगाळामां क्यारेक तेओ सूरिपदारूढ थया होवा जोईए. क्र. २७ वाळी रचनामां कर्ताना नामनो उल्लेख जोवा नथी मळतो, ते नोंधपात्र छे. अत्रे आपवामां आवेल आ रचनाओनी अनुक्रमणिका पण श्री अगरचन्द नाहटाए ज तैयार करेली छे, ते स्पष्टता करवी जोईए. प्रान्ते, वाचकवर्ग आ रचनाओने खूब माणशे तेवी आशा. चपात्र छ. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66