Book Title: Stotratmaka tatha Updeshatmaka Chotris Laghu Krutiono Samucchaya
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: ZZ_Anusandhan

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Page 60
________________ ६० अनुसन्धान ४४ (३०) श्री संखेश्वर पार्श्वनाथ स्तवनम् संखेसरि पुरि संठियह, पासह पाय जु झाइ । सो दूरिवि चितिउ लहइ, किं पुणु थुणइ जु जाइ ॥ १ ।। संखेसरि पासह चरण, नमइ जु एक्कमणेण । तसु निच्छई वंछिय सयल जायहिं एक्कखणेण ॥ २ ॥ लग्गु त काई वि साहियं, संखेसरि तुहु देव ! । जिणि तिहुयणु सउ मोहियं, कुणइ तहारियसेव ॥ ३॥ महु मुहि एक्क जि जीहडिय, तुह गुण लहं न अंतु । किव संखेसरि पास पई, पाविस तोसु थुणंतु ।। ४ ।। संखेसरु कप्पे वि सरुपउमु व पासजिर्णिदु । सो झाइज्जइ पइदियहु जसु पय नमइ फर्णिदु ॥ ५ ।। पुन्निम केरउ चंदुलउ, भवियहु पासु करेहु । मणु पुणु जलहि छवेवि तउ पिउ लहरिहिं पूरेउ ॥ ६ ॥ संखेसरि पासह पुरउ जीविउ तुलह धरेहु । इगनिच्छइ जउ तुट्ठ तउ वरु भावंतु वरेहु ।। ७ ॥ चिंतामणि चिंतिउ दियइ, पासु अचिंतिउ देइ । संखेसरि जो एक्कमणि, तसु पय पुणु वंदेइ ॥ ८ ॥ इय रयणसिंहपहुथुणिउ, संखेसरि जिणु पासु । मणवंछिउ पूरेवि जगि देउसु सिवपुरि वासु ॥ ९ ॥ (३१) श्री संखेश्वर पार्थ स्तवनम् संखपुरेसरि वंदहु देउ, जो जग भत्तिहि जाणइ भेउ । कासुवि न तुल्लउ जासु न तेउ, तासु न वंछिउ दितह खेउ ॥ १ ।। संखपुरेसरि पास जिणिंदु, उग्गउ लोयहु एक्कु दिसिंदु । किं नवु पुन्निम केरउ चंदू जेत्थु न अत्थु न कत्थवि फंदू ।। २ ।। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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