Book Title: Stotratmaka tatha Updeshatmaka Chotris Laghu Krutiono Samucchaya
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: ZZ_Anusandhan
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जून २००८
गुणिएसु मच्चरितं वहसि पओसं च निग्गुणजणम्यि । पररिद्धीए तम्मसि परिपरिवार्य तह करेसि ॥ १४ ॥ निच्चं पमायसीलो सुहाभिलासी य चोइओ कुवसि । सोहग्गमंजरी जं अप्पंमि तहावि बहुमाणो ॥ १५ ॥ इय सयलं जाणेमी काउं न तरामि भणसि गुरुकम्पो 1 कंठ-मण- सोसणेणं धिरत्थु तुह मूढ ! नाणेणं ॥ १६ ॥ अज्जं करेमि कल्लं करेमि धम्मुज्जमं तुमं भणसि । इय निष्फलवंच्छाहिं समप्पिही जम्मपरिवाडी ॥ १७ ॥ पेच्छंतो पच्चक्खं जियलोयं जीव ! इंदि (द) यालसमं । ठगिओ इव धुत्तेहिं हा चेयसि किं न अप्पाणं ? ।। १८ ।। साणं जह रुक्खे पहियाणं जह य देसियकुडीरे । मेलावग अणिच्चो मणुयाणं तह कुटुंबंमि ॥ १९ ॥ अज्जवि किंपि न नवं जइ चेयसि हंदि किंपि अप्पाणं । विलवणमेत्तठिओ पुण अरन्नरुन्तं समायरसि ॥ २० ॥ सुहाई तिरिया विहु भोए भुंजंति भोयणं तह य । एरिसचरियनराणं को संखं कुणइ पुरिसेसु ॥ २१ ॥ जे एवं जंपंती पमायवेरिं छलेह भो लोया ! । ते वि छलिज्जंति जया तया अहं तस्स किं काहं ? ॥ २२ ॥ बाहुल्लेणं लोओ पेच्छइ नयणेहिं नेव हियएणं । तेणं विसहितो कहं विरत्तो कुणउ धम्मं ! ॥ २३ ॥ एयाए दुम्मईए माहप्पं भंजिऊण रे जीव ! । धम्मारामे रम्मे उज्जमदक्खाफलं चरसु ॥ २४ ॥ गुरुआणाए सम्मं परोवयारंमि संजमे नाणे । खाओसमयभावे सयावि एएसु उज्जमसु ॥ २५ ॥ एयं खु धम्मरज्जं कहमवि लद्धूण गणिय दियहाई । सपरोवयारहीणो खणंपि मा सुयह वीसत्थो || २६ ॥ अह एत्तियभणिएण वि होइ अहं जाण ( अहम्माण ? ) को गुणो भणसु । असुई मुत्तूण किमी अन्नत्थ रई किह करेइ ? ।। २७ ।।
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