Book Title: Sthananga Sutra Part 02
Author(s): Nemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh

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Page 13
________________ [12] पृष्ठ विषय पृष्ठ विषय संयम के आठ प्रकार २४१-२४३ | नौ नक्षत्र २५४-२५७. आठ पृथ्वियाँ ईषत्प्राग्भारा के आठ नाम " " नौ योजन के मत्स्य २५४-२५७ . प्रमाद नहीं करने योग्य कर्तव्य २४३-२४४ बलदेवों-वासुदेवों के माता पिता आदि " " विमान की ऊंचाई २४४-२४५ महानिधियाँ २५७-२६० वादी सम्पदा २४४-२४५ विकृतियाँ (विगय) नौ २६०-२६२ केवलि समुद्घात २४४-२४५ नौ स्रोत २६०-२६२ अनुत्तरौपपातिक सम्पदा २४५-२४७ | पुण्य भेद २६०-२६२ वाणव्यन्तर और चैत्य वृक्ष २४५-२४७ | पापायतन भेद २६०-२६२ सूर्य विमान, नक्षत्र २४५-२४७ | पापश्रुत प्रसंग २६०-२६२ द्वीप समुद्रों के द्वार २४५-२४७ नैपुणिक वस्तु २६२-२६३ बंध स्थिति २४५-२४७ भ० महावीर स्वामी के नौ गण २६२-२६३ कुल कोटि २४५-२४७ नवकोटि भिक्षा २६२-२६३ पाप कर्म संचित पुद्गल २४५-२४७ | देव वर्णन २६४-२६५ पुद्गलों की अनन्तता २४५-२४७ | ग्रैवेयक विमान' . . २६४-२६५ नववा स्थान आयु परिणाम २६४-२६५ विसंभोग पद २६५-२६६ ब्रह्मचर्य के अध्ययन २६६-२६९ ब्रह्मचर्य गुप्तियाँ २४८-२५० / पार्श्व प्रभु की ऊंचाई २६९-२७४ ब्रह्मचर्य की अगुप्तियाँ २४८-२५० नौ जीव तीर्थंकर गोत्र बांधने वाले २६९-२७४ सद्भाव पदार्थ नौ २५१-२५३ भावी तीर्थंकर २७४-२७५ संसारी जीव भेद २७५-२८४ गति आगति २८४-२८५ सर्व जीव भेद २८४-२८५ जीवों की अवगाहना २८४-२८५ संसार.पद २५१-२५३ प्रथम तीर्थंकर द्वारा तीर्थ प्रर्वतन २८४-२८५ रोगोत्पत्ति के स्थान २८४-२८५ दर्शनावरणीय कर्म भेद २५४-२५७ / महाग्रह शुक्र की नौ वीथियाँ २८४-२८५ २४८-२५० / भिक्षु प्रतिमा, प्रायश्चित्त २४८-२५० / नौ कूट २५१-२५३ महापद्म चरित्र २५१-२५३ / नौ नक्षत्र २५१-२५३ विमानों की ऊंचाई २५१-२५३ / कुलकर की अवगाहना २५१-२५३ अंतर द्वीप Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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