Book Title: Sthananga Sutra Part 02
Author(s): Nemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh

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Page 11
________________ [10] १८६ . विषय .. पृष्ठ विषय पृष्ठ भोजन का परिणाम १४९-१५० जंबूद्वीप में क्षेत्र-पर्वत-नदी १७९-१८१ विष परिणाम १४९-१५० | कुलकर १८१-१८३ प्रश्न छह १४९-१५० चक्रवर्ती रत्न १८३-१८४१ विरह वर्णन १४९-१५० दुःषमा लक्षण १८४-१८५ छह प्रकार का आयुष्य बंध १५१-१५३ सुषमा लक्षण ९८४-१८५ परभव आयुष्य बंध १५१-१५३ संसारी जीव के सात भेद . १८५-१८६ छह भाव .. . १५१-१५३ अकाल मृत्यु के ७ कारण, सर्व जीव भेद १८६ प्रतिक्रमण छह १५३-१५५ ब्रह्मदत्त चक्रवर्ती . १८६ छह तारे युक्त नक्षत्र १५३-१५५ मल्लिनाथ के साथ दीक्षित राजा पापकर्म संचित पुद्गल . १५३-१५५ /दर्शन सात, कर्म प्रकृति वेदन १८६-८७ सातवां स्थान . छद्मस्थ-केवली का विषय १८६-८७ गणापक्रमण १५६-१५७ / विकथाएँ सात १८७-१८९ विभंगज्ञान के भेद आचार्य उपाध्याय के अतिशय १८७-१८९ १५७-१६१ योनिसंग्रह १६१-१६७ संयम-असंयम १८७-१८९ गति आगति १६१-१६७/आरम्भ-अनारभ क भद १८७-१८९ संग्रह स्थान १६१-१६७ योनि-स्थिति १९०-१९२ असंग्रह स्थान १६१-१६७ अप्कायिक, नैरयिक जीवों की स्थिति १९२ सात पिण्डैषणाएं, पानैषणाएँ १६१-१६७ अग्रमहिषियों और देव स्थिति १९०-१९२ अवग्रह प्रतिमाएँ १६१-१६७ नंदीश्वर द्वीप १९०-१९२ सात पृथ्वियाँ १९०-१९२ . बादर वायुकायिक जीव, सात संस्थान १६८-७० अनीका-अनीकाधिपति १९२-१९६ सात भय स्थान १६८-७० वचन विकल्प १९६-१९९ छद्मस्थ और केवली का विषय १६८-७० विनय के भेद १९६-१९९ गोत्र सात १७०-१७२ समुद्घात सात १९९-२०१ नय सात २०२-२०३ सात स्वर २०३-२०४ कायक्लेश के भेद २०३-२०४ १६७-१६८ सात श्रेणियाँ १७०-१७२ प्रवचन निव १७२-१७८ अनुभाव सात १७८-१७९ / सात नक्षत्र Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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