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विषय .. पृष्ठ विषय
पृष्ठ भोजन का परिणाम
१४९-१५० जंबूद्वीप में क्षेत्र-पर्वत-नदी १७९-१८१ विष परिणाम १४९-१५० | कुलकर
१८१-१८३ प्रश्न छह १४९-१५० चक्रवर्ती रत्न
१८३-१८४१ विरह वर्णन १४९-१५० दुःषमा लक्षण
१८४-१८५ छह प्रकार का आयुष्य बंध १५१-१५३ सुषमा लक्षण
९८४-१८५ परभव आयुष्य बंध
१५१-१५३ संसारी जीव के सात भेद . १८५-१८६ छह भाव .. . १५१-१५३ अकाल मृत्यु के ७ कारण, सर्व जीव भेद १८६ प्रतिक्रमण छह १५३-१५५ ब्रह्मदत्त चक्रवर्ती
. १८६ छह तारे युक्त नक्षत्र
१५३-१५५ मल्लिनाथ के साथ दीक्षित राजा पापकर्म संचित पुद्गल . १५३-१५५ /दर्शन सात, कर्म प्रकृति वेदन १८६-८७
सातवां स्थान . छद्मस्थ-केवली का विषय १८६-८७ गणापक्रमण १५६-१५७ / विकथाएँ सात
१८७-१८९ विभंगज्ञान के भेद
आचार्य उपाध्याय के अतिशय १८७-१८९
१५७-१६१ योनिसंग्रह
१६१-१६७ संयम-असंयम
१८७-१८९ गति आगति १६१-१६७/आरम्भ-अनारभ क भद
१८७-१८९ संग्रह स्थान
१६१-१६७ योनि-स्थिति
१९०-१९२ असंग्रह स्थान
१६१-१६७
अप्कायिक, नैरयिक जीवों की स्थिति १९२ सात पिण्डैषणाएं, पानैषणाएँ
१६१-१६७
अग्रमहिषियों और देव स्थिति १९०-१९२ अवग्रह प्रतिमाएँ
१६१-१६७ नंदीश्वर द्वीप
१९०-१९२ सात पृथ्वियाँ
१९०-१९२ . बादर वायुकायिक जीव, सात संस्थान १६८-७०
अनीका-अनीकाधिपति
१९२-१९६ सात भय स्थान
१६८-७० वचन विकल्प
१९६-१९९ छद्मस्थ और केवली का विषय १६८-७०
विनय के भेद
१९६-१९९ गोत्र सात १७०-१७२ समुद्घात सात
१९९-२०१ नय सात
२०२-२०३ सात स्वर
२०३-२०४ कायक्लेश के भेद
२०३-२०४
१६७-१६८ सात श्रेणियाँ
१७०-१७२ प्रवचन निव १७२-१७८ अनुभाव सात १७८-१७९ / सात नक्षत्र
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