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________________ २०६-२०९ उपमा रूप काल २०९-२१५ मध्यप्रदेश विषय पृष्ठ विषय पृष्ठ कूट सात २०४-२०५ आठ सूक्ष्म . २२४-२२७ कुलकोटि २०४-२०५ भरत के आठ उत्तराधिकारी २२४-२२७ पापकर्म संचित पुद्गल २०४-२०५ आठ गण- आठ गणधर २२४-२२७ आठवाँ स्थान दर्शन भेद २२७-२२८ एकल विहार प्रतिमा २२७-२२८ योनि संग्रह २०६-२०९ |भ० महावीर द्वारा दीक्षित-आठ राजा २२७-२२८ गति आगति २०६-२०९ आहार के आठ भेद २२८-२३२ आठ कर्म प्रकृतियों, कर्म बंध .. २०६-२०९ कृष्णराजियाँ आठ २२८-२३२ मायावी और आलोचना २२८-२३२ संवर-असंवर २१५-२१७ तीर्थंकर महापद्म द्वारा दीक्षित राजा २३२-२३३ स्पर्श आठ २१५-२१७ कृष्ण की आठ अग्रमहिषियाँ २३२-२३३ लोक स्थिति २१५-२१७ वस्तु और चूलिका वस्तु २३२-२३३ गणि सम्पदा २१७-२२०/गतियाँ आठ २३३ महानिधिः . २१७-२२० द्वीप-समुद्र का विष्कंभ . २३३ आठ समितियाँ २१७-२२० काकिणी रत्न २३३ आलोचना सुनने और करने वाले के गुण " " | जंबू सुदर्शन वृक्ष २३४-२३५ प्रायश्चित्त . २२०-२२१ |तिमिस्र गुफा और खण्ड प्रपात गुफा २३४-२३५ मद स्थान आठ २२०-२२१ जम्बूद्वीप वर्णन २३४-२३५ अक्रियावादी .. २२१-२२४ आठ आठ राजधानियाँ २३४-२३५ महानिमित्त २२१-२२४ धातकीखण्ड द्वीप वर्णन २३६-२३७ वचन विभक्ति २२१-२२४ अर्द्धपुष्कवर द्वीप २३६-२३७ छद्मस्थ और केवली का विषय . २२१-२२४ पर्वतों के कूट २३७-२४१ आयुर्वेद के आठ प्रकार २३७-२४१ अग्रमहिषियों २२४-२२७ आठ देवलोक व इन्द्र . २३७-२४१ महाग्रह २२४-२२७ / परियानक विमान । २३७-२४१ तृणवनस्पतिकाय के भेद २२४-२२७ / भिक्षु प्रतिमा २४१-२४३ चउरिन्द्रिय जीवों का संयम-असंयम २२४-२२७ /जीव भेद २४१-२४३ २२१-२२४/५६ दिशाकुमारियाँ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004187
Book TitleSthananga Sutra Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2008
Total Pages386
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_sthanang
File Size8 MB
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