Book Title: Sthananga Sutra Part 02
Author(s): Nemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh

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Page 10
________________ 19) विषय ... पृष्ठ विषय छद्मस्थ और केवली का विषय १०७-११०. प्रमाद प्रतिलेखना असमर्थता के बोल १०७-११० | अप्रमाद प्रतिलेखना छह जीवनिकाय १०७-११० | लेश्याएं छह तारों के आकार वाले छह ग्रह १०७-११० | अग्रमहिषियाँ आदि . संसार समाफ्नक छह जीव १०७-११० | अवग्रह मति आदि के छह छह भेद गति आगति १०७-११० | तप भेद छह प्रकार के सर्व जीव १०७-११० विवाद के छह अंग तृण वनस्पतिकायिक . . १०७-११० क्षुद्र प्राणी छह छह स्थान सुलभ नहीं . ११०-११२ गोचरचर्या के छह भेद इन्द्रियों के अर्थ (विषय) ११०-११२ महानरकावास संवर-असंवर ११०-११२ विमान प्रस्तट सुख-असुख .. ११०-११२ नक्षत्र छह प्रायश्चित्त के छह भेद ११०-११२ तेइन्द्रिय जीवों का संयम असंयम छह प्रकार के मनुष्य, ऋद्धिमान् ११३-१२२ जंबूद्वीप में वर्ष, वर्षधर आदि अवसर्पिणी काल के छह भेद . ११३-१२२ छह महाद्रह उत्सर्पिणी काल के छह भेद ११३-१२२ छह महानदियां संहनन. .. ११३-१२२ ऋतुएँ छह संस्थान ११३-१२२ क्षय तिथियाँ अनात्मवान् के लिए छह स्थान १२३-१२४ वृद्धि तिथियाँ आत्मक ह स्थान १२३-१२४ अर्थावग्रह छह जाति आर्य के छह भेद . . १२३-१२४ अवधिज्ञान के भेद कुल आर्य के छह भेद १२३-१२४ छह अवचन लोकस्थिति १२३-१२४ | कल्प प्रस्तार छह दिशाएँ १२५-१२६ | पलि मंथु छह आहार करने के छह कारण १२५-१२६ कल्पस्थिति आहार त्याग के छह कारण १२५-१२६ | भ० महावीर के छ? भक्त उन्माद, प्रमाद १२६-१२७ विमान की ऊँचाई, अवगाहना पृष्ठ १२८-१३४ १२८-१३४ १२८-१३४ १२८-१३४ १३४-१३५ १३५-१३६ १३५-१३६ १३७-१३८ १३७-१३८ १३७-१३८ १३८-१४० १३८-१४० १४०-१४१ १४१-१४४ १४१-१४४ १४१-१४४ १४१-१४४ १४१-१४४ १४१-१४४ १४४-१४५ १४४-१४५ १४४-१४५ १४६-१४९ १४६-१४९ १४६-१४९ १४६-१४९ १४६-१४९ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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