Book Title: Sthanang Sutram Part 02
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

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Page 769
________________ ७८ स्थानागसूत्रे स्थितिकाः पल्योपमकालपर्यन्तस्थायिनो द्वारनामसदृशनामकाः परिवसन्ति, तेच विजयः १, वैजयन्तः २, जयन्तः ३, अपराजितः ४, इति, उक्तं च-" पलिभोवमहिइया, सुरगणपरिवारिया सदेवीया। एएसु दारनामा, वसंति देवा महिडीया ॥१॥" छाया-" पल्योपमस्थितिकाः सुरगणपरिताः सदेवीकाः । एतेषु द्वारनामानो वसन्ति देवा महर्द्धिकाः ॥१॥” इति । सू० ६३ अनन्तरं जम्बूद्वीपस्य द्वाराणि निरूपितानि, सम्पति जम्बूद्वीपस्थान अन्तर दीपान् निरूपयितुमाह___ मूलम्-जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पचयस्ल दाहिणेणं चुल्लहिमवंतस्स बासहरपवयस्स चउसु विदिसासु लवणसमुई तिन्नि तिन्नि जोयणसयाई ओगाहित्ता एत्थ णं चत्तारि अंतरदीवा पण्णत्ता, तं जहा-एगूरुयदीवे१, आभासियदीवेर,वेसाणियदीवे ३, णंगोलियदीवे४ । तेसुणं दीनेसु चउबिहा मणुस्सा परिवसंति, तं जहा-एगूरुआ१, आभासिआर, वेसाणिया३, गंगोलिया। तेसिणं दीवाणं चउसु विदिसासु लवणसमुदं चत्तारि २, जोयणसयाई ओगाहेत्ता एत्थ णं चत्तारि अंतरदीवा पण्णत्ता, तं महाबलाः, महायशलाः, महासौख्याः" इसपाठका संग्रह हुवाहै । इन चार द्वारोंपर जो चार देव रहते हैं उनके नाम द्वारके नामानुसार हैं। इस तरह उन देवोंके नाम क्रमशः विजय-वैजयन्त-जयन्त और अप. राजित हैं। कहाभी है-" पलिओवमहिया" इत्यादि, वे देव पल्यो पमकी स्थिति वाले हैं द्वारमें रहने वाला प्रत्येक देव प्रगणोंसे सदा परिवृत रहता है और अपनी-२ देवियोंसे युक्त बना रहताहै ।मु०६३॥ સંપન્ન આ ચાર વિશેષણે ગ્રહણ કરવા જોઈએ. તે ચાર દ્વાર પર જે ચાર દે રહે છે તેમનાં નામ પણ તારોનાં નામાનુસાર છે. એટલે કે વિજય, वैश्य-1, स्यन्त भने २०५२ छे. ४यु ५ छे , “ पलिओवमद्विइया" ઇત્યાદિ એક પલ્યોપમની સ્થિતિ છે. તે દેવે સદા સુરગણે અને દેવીઓના परिवारथी परिवृत्त २ छ. ॥ सू. १३ ॥

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