Book Title: Stavanavali Author(s): Shravak Bhimsinh Manek Publisher: Shravak Bhimsinh Manek View full book textPage 9
________________ ..... ६५ क्रमांक. (७) १३० प्रजुजी मोरी नैननमें बसरो. _.... ६५ १३ए जिनजीसें हमारी लगन लगी. १४० बबिहारी जाउं वारी महावीर तारी. .... ६५ १४१ बंदा तुं क्युं नूले श्री जिनवरको नाम..... ६६ १४५ कोण करे जंजाल जगमें जीवनां थोमा..... ६६ १४३ फरसे रे महाराज आज राजरिक पाई. ६६ १४४ रीत सर्वथी न्यारी होजी तुमारी. .... ६७ १४५ आंखडली अणीयाली होजी तमारी. .... ६७ १४६ मुखमलाने मटके होजी तमारा. .... ६७ १४७ मूरतीय मनहुं लोनाएं होजी तमारी. .... ६७ १४७ धन धन रे दीवाली मारे आजुनी रे..... ६७ १४ए धन धन रे चोघडियुं मारे आजनुं रे. ६॥ १५० धन धन पाजनो दिन रलीयामणो रे. ६॥ १५१ मारे बाज आनंद वधामणां रे. .... ७० १५२ सवा लाख टकानी जाये एक घमी. .... ७० १५३ चेतन तुं क्या करे यारी. . १५४ नगर नरेसर रूगे, खान सुलतान रूगे. ७१ १५५ अगडहुं अगडई बाजे चोघमा. १५६ नेमनाथ मोरी अरज सुनीजें. ....... ७५ १५७ जिनदासजी कृत घन दश Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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