Book Title: Stavanavali Author(s): Shravak Bhimsinh Manek Publisher: Shravak Bhimsinh Manek View full book textPage 7
________________ क्रमांक ( ६ ) पृष्टांक. ए रसना सफल जइ, में तो गुन गाये महाराज. ५० गोमी गाइयें मन रंग. այ ૫૩ १०० हांरे हुंतो मोही रे लाल जिन मुखडाने म० ५१ १०१ महाराजा बिन कैसें काज सरे. १०२ प्रजुजीसें लगो मारो नेह. १०३ होजी महाराज सरग सोहे राखो. ५२ ५२ ५२ ५३ ५३ ५४ १०४ राजरी बधाइ बाजे बे. १०५ रे जीव जिनधर्म कीजियें. १०६ सोइ सोइ सारी रेन गुमाइ. १०७ राजुल कहे नाथ गये साथ परिहरी. १०० पिया गिर चले गये रे. १०० गजरो चडाउं रे मारा धुलेवा धणीने. ५४ ११० जिनराज नाम तेरा राखुं रे हमारे घटमें. ५५ १११ आजकी यगी जोर बनि. ५४ Սա ११२ मिलावनां मिलावनां मिलावनां. મુદ્દ ५६ ११३ समेत शिखर चालो जश्यें मोरी सजनी. ५६ ११४ जज ले मनुवा गोकी पारसकूं. ११५ तुं जगमांहे दीवो प्रभुजी ११६ पारस नाथ आधार प्रभु मेरो० ११७ जब ज्योति मेरे जिनकी ૫૬ ขิง ५७ Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org .... .... .... ****Page Navigation
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