Book Title: Stavanavali
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 10
________________ क्रमांक. पृष्टांक. १५७ चल चेतन अब उठ कर अपने .... ७ २५ए तुम जजो जिनेसर देव, मुक्तिपद पाइ. पुए १६० कब देखुं जिनवरदेव जगद्गुरु ग्यानी. १ १६१ एक जिनवरका निज नाम हियामें लेना. ७२ १६२ खबर नहि या जुगमें पलकी रे. .... ७३ १६३ हां रे तुंकुमति कलेसण नार लगी क्युं केडे.७५ १६४ तुम तजो जगत्का ख्याल इसकका गानां. ७६ १६५ तजो काम मद मान लाल, जिनवर ... ७ १६६ अगमपंथ जानां हे ना, अगमपंथण .... नए १६७ दे गया दगा दिलदार सुनो मेरी माश् .... एस १६७ श्री आदिनाथ निर्वाणी नमुं एसे .... ए१ १६ए मुलक बिच मगसी पारसका बाज रह्या मंकाए३ १७० सुणजो बातां राव सदाशिव, मत चमजानांए। १७१ कीजें मंगलचार, आज घरे नाथ पधास्या. एए १७२ चारो मंगल चार आज मारे चारो मंगल एए १७३ दीवो रे दीवो मंगलिक दीवो. १७४ पहेली रे आरति प्रथम जिणंदा. १७५ जय जय श्रारति देवी तुमारी. १७६ नेमनाथजीनो नवरसो. .... १४७ दान, शियल, तप, जावनानुं चोढालीयु. १०५ .... एन .... एक Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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