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लागी० ॥२॥ श्री चिंतामणि पूजा करतां, माया मुकत अब मागी ॥ लागी ॥३॥
पद अगीयारमुं॥ में तो तोरी आजही महीमा जाणी ॥ टेक॥ कायकुं नव बिच यही जीउ जमता, कायकुं बोत फुःख दानी ॥ मेंतो ॥१॥ एसी शाखा में बोत सुनी हे, जैन पुरान बिखानी ॥ मेंतो ॥२॥ नूधरकुं सेवा फल दीजें, हम जाचक तुम दानी ॥ ॥ मेंतो ॥३॥ ___ पद बारमुं ॥ राग बिहाग ॥ शीयल नित पालो प्रानी, शीयल धरमको मूल रे ॥ शीयल ॥ टेक ॥ शीयल सती सीतायें पादयु, अग्नि कुंम जयो पानी रे ॥शीयल० ॥१॥ शीयल सती सुलझायें पाट्यु, चा लणी में नर लीयो पानी रे॥शीयल ॥२॥ शीयल शेठ सुदर्शने पादयु, शूली थइ विमानी रे ॥ शी यल०॥३॥ दान शीयल संयम व्रत पाल्यां, शीवसुख
आवादानी रे॥ शीयल ॥४॥ __ पद तेरमुं ॥ रागधन्याश्री॥ताल चोताल ॥शांति जिनेश्वर साहेबा रे, तीन नुवनको महीमा गजे ॥ शांति ॥ ए श्रांकणी ॥ स खाणी थारे वारे, क र जोम करते मनुहारे॥ शांति ॥१॥ मोहनी मू
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