Book Title: Stavanavali
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek
View full book text
________________
(१४१) मुज एहनी, कां वली ताहरी देह ॥ रूमा राजा ॥ जीवदया मेघरथ वसी, सत्य न मेले धार्म तेह ॥ रूडा राजा ॥ धन्य० ॥६॥ काती लेई पिंम कापी ने, से मंस तुं सींचाण ॥रूमा पंखी ॥त्राजुयें तोला वी मुजने दीयो, ए पारेवा प्रमाण ॥ रूडा राजा ॥ धन्य० ॥७॥ त्राजु मगावी मेघरथ रायजी, का पी कापी मूके डे मंस॥ रूडा राजा ॥ देवमाया धा रण समी, नावे ए कण अंश ॥ रूडा राजा॥ धन्य ॥ ७॥ नई सुत राणी वल वले, हाथ जाली कहे तेह ॥ धर्मि राजा ॥ एक पारेवाने कारणे, शुं कापो डो देह ॥ रूमा राजा॥धन्यण ॥माहाजन लोक वारे सहु, म करो एवमी वात ॥ रूड़ा राजा॥ मेघर थ कहे धर्म फल जलां, जीव दया मुज घात ॥ रू डा राजा ॥ धन्य० ॥ १० ॥ त्राजुयें बेगे राजवी, जे नावे ते खाय ॥ रूमा पंखी ॥ जीवथी पारेवो अधि क गएयो, धन्य पिता तुज माय ॥ रूमा राजा ॥ध न्य० ॥११॥चमते परिणामे राजवी, सुर प्रगट्यो तिहां आय ॥ रूडाराजा ॥ खमावे बहु विधे करी, लली लली लागे जे पाय ॥ रूमा राजा॥धन्यार॥ इंड प्रशंसा ताहारी करी, तेहवो तुं जो राय ॥ रू
Jain Educationa International
For Personal and Private Use Only
www.jainelibrary.org
![](https://s3.us-east-2.wasabisys.com/jainqq-hq/629e72f1f3062aeb0daca40d10d3bdf2d9b247a5a7cca150f905de7315e40ec6.jpg)
Page Navigation
1 ... 150 151 152 153 154 155 156 157 158 159 160 161 162