________________
(१५०)
॥ बंद मालिनी ॥ नित मुख मचकोडे, आलसें अंग मोडे; नितज शिर पखोडे, कारमी वात जोडे; धन रहित वखोडे, पागणूं गांठ बोडे; तिमव किम इति लोडे, अर्थ वेश्या विछोडे. १ उत्तम मधम तेमी, अर्थ लेति न जेमी; तरु जित नर वेडी, एकछू एक नेमी; त्रिय शरिरज रेमी, वेश पामी खलेगी; विल गिज जिह केडी, तेहनुं नाम फेमी. २ सुरत रस लजीजे, कोमी उत्संगि लीजें; तुश्न मन पतीजे, हाथ लीधी विलीजें; सम संपत्ति न धीजे, अर्थने काज बीजे; निह घर रहु कीजे, दैव, दोष दीजे.
Sale
Jain Educationa International
For Personal and Private Use Only
www.jainelibrary.org