Book Title: Sramana 1995 07
Author(s): Ashok Kumar Singh
Publisher: Parshvanath Vidhyashram Varanasi

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Page 53
________________ नागेन्द्रगच्छ का इतिहास : ५१ जैसा कि ऊपर कहा जा चुका है इस गच्छ से सम्बद्ध पूर्वमध्यकाल एवं मध्यकाल के पर्याप्त संख्या में अभिलेखीय साक्ष्य मिलते हैं। इनसे इस गच्छ के विभिन्न मुनिजनों के नाम ज्ञात होते हैं, परन्तु उनमें से कुछ के पूर्वापर सम्बन्ध ही स्थापित हो सके हैं, जो निम्नानुसार हैं : भुवनानन्दसूरि के पट्टधर पद्मचन्द्रसूरि वि० सं० १३६६ वैशाख वदि ८ श्री० प्र० ले० सं० लेखांक ५८ पद्मचन्द्रसूरि के पट्टधर रत्नाकरसूरि वि० सं० १४१५ ......... प्र० ले० सं० लेखांक १५१ रत्नाकरसूरि के पट्टधर रत्नप्रभसूरि वि० सं० १४२२ वैशाख सुदि ११ बुधवार जै० ले० सं० भाग २ लेखांक १०५३ वि० सं० १४४६ वैशाख वदि ३ सोमवार वहीं, भाग १ लेखांक ६८६ वि० सं० १४४७ फाल्गुन सुदि ८ सोमवार जै० धा० प्र० ले० सं०, भाग १ लेखांक ३५६ रत्नप्रभसूरि के पट्टधर सिंहदत्तसूरि वि० सं० १४६६ श० वै० लेखांक ५७ वि० सं० १४७४ माघ सुदि ७ शुक्रवार जै० ले० सं०, भाग २ लेखांक १०६५ वि० सं० १४८३ .............. वही, भाग १ लेखांक ५२१ उदयदेव सूरि वि० सं० १४४६ वैशाख सुदि ३ सोमवार वही, भाग २ लेखांक ११२४ वि० सं० १४५३ वैशाख सुदि ५ सोमवार रा० प्र० ले० सं० लेखांक ८५ उदयदेवसूरि के पट्टधर गुणसागरसूरि वि० सं० १४८३ वैशाख सुदि ३ शनिवार जै० धा० प्र० ले० सं०. भाग २ लेखांक १०५६ वि० सं० १४८५ वैशाख सुदि ६ रविवार वही, भाग १ लेखांक ६१० वि० सं० १४८६ ज्येष्ठ सुदि १२ शनिवार प्रा० ले० सं० लेखांक १४५ गुणसागरसूरि के पट्टधर गुणसमुद्रसूरि वि० सं० १४६२ वैशाख सुदि ३ गुरुवार जै० धा० प्र० ले० सं०, भाग १ लेखांक ५ वि० सं० १४६६ माघ सुदि ५ गुरुवार प्रा० ले० सं० लेखांक १७५ वि० सं० १४६६ माघ सुदि १० बी० जै० ले० सं० लेखांक १३२७ वि० सं० १४६६ मितिविहीन जै० ले० सं०, लेखांक १३९८ भाग २ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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