Book Title: Sramana 1995 07
Author(s): Ashok Kumar Singh
Publisher: Parshvanath Vidhyashram Varanasi

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Page 93
________________ जैन जगत् : ९१ SAISE । संस्थान में आयोजित सेमिनार को सम्बोधित करते हुए श्री सीताराम केसरी शोध प्रवृत्तियों की सराहना करते हुए इसके उज्ज्वल भविष्य की कामना की। प्रो० सागरमल जैन 'अहिंसा इण्टरनेशनल डिप्टीमल जैन' पुरस्कार से सम्मानित नई दिल्ली, अहिंसा इण्टरनेशनल द्वारा आयोजित पशु-रक्षा एवं पर्यावरण पर राष्ट्रीय सम्मेलन फिक्की सभागार में ७ मई को सम्पन्न हुआ। अनेक राज्यों से आये प्रख्यात कार्यकर्ताओं को सम्बोधित करते हुए मुख्य अतिथि श्री कृष्ण चंद्र पंत, अध्यक्ष, वित्त आयोग ने कहा कि २५०० वर्ष पश्चात् भी भगवान महावीर के सिद्धान्त की सार्थकता बनी हुई है। महात्मा गाँधी ने अहिंसा को जिस प्रखरता से प्रतिपादित किया वह अपूर्व है और उसे जीवन में सक्रियता से अपनाने की आज बहुत आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि सहयोग की भावना के साथ हमें प्रत्येक जीव का, हर प्रकार के पशु-पक्षी का महत्त्व समझते हुए सम्मान करना चाहिए। पशुओं की जीवन में उपयोगिता है। ऐसे सम्मेलनों द्वारा पशु-रक्षा के प्रति पर्याप्त जन-चेतना उत्पन्न होती है एवं नई कार्य विधियाँ प्रकाश में आती हैं। उन्होंने साहित्य के क्षेत्र में विशिष्ट योगदान के लिए जैन दर्शन एवं साहित्य के विशिष्ट विद्वान प्रो० सागरमल जैन, निदेशक, पार्श्वनाथ विद्यापीठ, वाराणसी को "अहिंसा इण्टरनेशनल डिप्टीमल जैन पुरस्कार" से सम्मानित किया। इस अवसर पर श्री लक्ष्मीनारायन मोदी, नई दिल्ली; श्री केशरीचंद मेहता, भालेगाँव; श्री सुखलाल गोलेच्छा, सुमन जैन, राजनाँद गाँव को तथा श्रीपाल जैन "दिवा', Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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