Book Title: Sramana 1995 07
Author(s): Ashok Kumar Singh
Publisher: Parshvanath Vidhyashram Varanasi

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Page 95
________________ जैन जगत् : ९३ उच्चाधिकारियों ने आचार्यश्री का हार्दिक अभिनन्दन करते हुए यहाँ की शोधप्रवृत्तियों एवं इसके भावी विकास की योजनाओं पर विस्तृत प्रकाश डाला। आचार्यश्री ने अपने आशीर्वचन में जैन विद्या के प्रचार-प्रसार और शोध के क्षेत्र SEE RE 40 गु08 आचार्य पद्मसागर जी संस्थान में आयोजित एक सभा को सम्बोधित करते हुए में अतुलनीय योगदान के लिए प्रो० सागरमल जैन तथा उनके अधीन कार्यरत सुयोग्य एवं कर्मठ युवा अधिकारियों को धन्यवाद देते हुए इसके उत्तरोत्तर प्रगति की कामना की। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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