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जैन जगत्
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हमारे अन्तर्हृदय की आवाज को सुनी और वर्षावास के उपसंहार काल में पूज्य सोहनलाल स्मारक पार्श्वनाथ शोधपीठ के मन्त्री श्री भूपेन्द्रनाथ जी तथा महामनीषी डॉ० सागरमल जी उपस्थित हुए और उन्होंने यह हर्ष के समाचार प्रदान किये, कि पार्श्वनाथ शोधपीठ को विश्वविद्यालय बनाने के लिये शासन की ओर से स्वीकृति प्राप्त हो रही है। आवश्यकता है समाज के मात्र आर्थिक सहयोग की ।
मैं जिसकी कल्पना भी नहीं कर सकता था कि उस महागुरु की असीम कृपा से यह कार्य भारत सरकार की ओर से सम्पन्न हो गया है। ऐसा समाजरत्न सुश्रावक हीरालालजी जैन के द्वारा ज्ञात हुआ । पार्श्वनाथ शोधपीठ का निर्माण महागुरु आचार्य सम्राट् पूज्य श्री सोहनलाल जी म० की स्मृति में महामहिम आचार्य श्री काशीराम जी म० की प्रेरणा से उनके परम भक्त सुश्रावक लाला हरजसरायजी, लाला रतनचंद जी जैन आदि ने किया था। यह संस्था स्थानकवासी जैन समाज की गौरवपूर्ण संस्था है। जहाँ से सैकड़ों शोधार्थियों ने जैन धर्म, जैन दर्शन, साहित्य और संस्कृति पर महत्त्वपूर्ण शोध-प्रबन्ध लिखकर, पीएच० डी० उपाधि से समलंकृत हुए हैं, उसी संस्था को विश्वविद्यालय बनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है। अतः समाज का यह दायित्व है कि प्रस्तुत संस्था को सभी प्रकार से सहयोग करें, जिससे कि यह विश्वविद्यालय जैन शासन की प्रभावना करने में अपना अपूर्व योगदान दे सके । श्रमण और श्रमणियाँ भी वहाँ रहकर या उनके नेतृत्त्व में आगम और दर्शन सम्बन्धी शोधकार्य सहज रूप से कर सकते हैं। आत्मदीक्षा शताब्दी वर्ष की यह महान उपलब्धि हमारे संघ के समुत्कर्ष हेतु वरदान रूप रहेगी, यही मेरी मंगल कामना है। जिन-जिन महामनीषियों ने इस कार्य को सम्पन्न कराने में सहयोग दिया है, वे सभी साधुवाद के पात्र हैं। मैं महागुरु आचार्य सम्राट् के चरणों में अनन्त आस्था से वन्दन करता हुआ यही प्रार्थना करता हूँ कि दीक्षा शताब्दी की पावन बेला में विश्वविद्यालय का आकार ग्रहण कर रही यह संस्था अहर्निश प्रगति करती रहे ।
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आपका
आचार्य देवेन्द्र मुनि
जैन एकता सम्मान समारोह सम्पन्न
अखिल भारतीय समग्र जैन चातुर्मास सूची प्रकाशन समिति द्वारा बम्बई में श्री दीपचन्द जी गार्डी की अध्यक्षता में जैन एकता सम्मेलन समारोह-६५ का आयोजन सफलतापूर्वक सम्पन्न हुआ। इस समारोह में जैन समाज की "चार जैन पत्रिकाओं जैन भारती, आत्मरश्मि विजयानन्द और कुन्दकुन्दवाणी को 'जैन एकता साहित्य पुरस्कार १६६३ एवं श्री नेमिनाथ जैन, इन्दौर को जैनरत्न तथा श्री भरतभाई शाह, श्री कान्तिलाल जैन एवं श्री सुखलाल जी कोठारी को
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