Book Title: Sramana 1995 07
Author(s): Ashok Kumar Singh
Publisher: Parshvanath Vidhyashram Varanasi

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Page 88
________________ ८६ : श्रमण/जुलाई-सितम्बर/१९९५ आकर्षण यह भी है कि इसके अन्त में जैनधर्म-दर्शन से सम्बन्धित पारिभाषिक शब्दों की संक्षिप्त व्याख्या एवं दिगम्बर मुनि के आचार इन दो महत्त्वपूर्ण विषयों को समावेशित कर पुस्तक की श्रीवृद्धि की गयी है; जिससे पुस्तक की उपयोगिता और भी बढ़ गयी है। पुस्तक संग्रहणीय है। इसकी साज-सज्जा बड़े ही आकर्षक ढंग से की गयी है। - डॉ० जयकृष्ण त्रिपाठी पुस्तक - मेरी इटली यात्रा की कहानी लेखक --- हजारीमल बाँठिया प्रकाशक -- पञ्चाल शोध-संस्थान, कानपुर प्रकाशन वर्ष – १६६३ मूल्य - रुपये १०.०० मात्र हजारीमल जी बाँठिया पेशे से व्यापारी होकर भी भारतीय साहित्य एवं संस्कृति के प्रति अत्यन्त प्रेम रखते हैं। आपने हिन्दी के प्रसिद्ध विद्वान इटली निवासी डॉ० एल० पी० टेसीटोरी के बीकानेर स्थित कब्र पर भव्य समाधि बनवाया तथा उनके सम्मान में एक बृहद् समारोह का आयोजन करवाया, जिसके फलस्वरूप इस भूले साहित्यकार को, उसके हिन्दी के प्रति किये गये कार्यों को लोग जान सके। प्रस्तुत पुस्तक में बाँठिया जी की टेसीटेरी जन्मशती समारोह में भाग लेने हेतु की गई इटली की यात्रा का रोचक वर्णन है। साथ ही इस भूले-बिसरे साहित्यकार की जीवन-गाथा भी। कृति इतिहास प्रेमियों के लिए संग्रहणीय है। - श्री असीम कुमार मिश्र पुस्तक – समाजसेवी, साहित्यानुरागी, उदारमना हजारीमल बाँठिया लेखक -- प्रो० भूपतिराम साकरिया प्रस्तुत पुस्तिका में लेखक ने हजारीमल जी बाँतिया के गौरवपूर्ण जीवन का उल्लेख किया गया है। बाँठिया जी विश्वबन्धुत्व की भावना से ओत-प्रोत, मानवीय गुणों से पूर्ण, भारतीय संस्कृति एवं साहित्य से प्रेम रखने वाले उदारमना व्यक्तित्व के धनी हैं। पुस्तिका में प्रकाशित चित्र उनके जीवन के विविध पक्षों को उजागर करते हैं। — श्री असीम कुमार मिश्र पञ्चाल – सम्पादक -- डॉ० ए० एल० श्रीवास्तव प्रकाशक - पञ्चाल शोध संस्थान, कानपुर Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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