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नागेन्द्रगच्छ का इतिहास : ६१
F. U. P. Shah, Akota Bronzes, Bombay 1956 A. D., p. 35. १०. Ibid ११. Ibid, p. 34. 97. Ibid १३. मुनि पुण्यविजय, "जैन आगमधर और प्राकृत वाङ्मय", ज्ञानाञ्जलि, बड़ोदरा
१६६६ ई० सन्, हिन्दी खण्ड, पृ० ३०-३२. १४. जम्बचरियं, संपा० मनि जिनविजय, सिंघी जैन ग्रन्थमाला, ग्रंथांक ४४, बम्बई
१६५६ ई० स०, हिन्दी भूमिका, पृ० ५. १५. वही, पृ० १६८-१६६, भूमिका, पृ० ३. १६. कुवलयमालाकहा, संपा०, आदिनाथ नेमिनाथ उपाध्ये, सिंघी जैन ग्रन्थमाला,
ग्रन्थांक ४५, बम्बई १६५६ ई० स०, पृ० २८२-२८३. १७. M. A. Dhaky - "Nagendra Gaccha", p. 38. १८. मोहनलाल दलीचंद देसाई, जैन साहित्यनो संक्षिप्त इतिहास ( गुजराती),
बम्बई, १६३२ ई० सन्, पृ० १६२. १६. पं० लालचन्द भगवानदास गाँधी "शक सं० ६१०नो गुजरातनी मनोहर
जिनप्रतिमा ऐतिहासिकलेखसंग्रह, श्री सयाजी साहित्यमाला, ग्रन्थांक ३३५,
बड़ोदरा १६६३ ई० सन्, पृ० ३२०-३३०. २०. वही, पृष्ठ ३२४. २१. अगरचन्द भँवरलाल नाहटा, संपा०, बीकानेरजैनलेखसंग्रह, वीर निर्वाण संवत् ।
२४८२ ( ई० स० १६५६), कलकत्ता, पृ० ३६२, लेखांक २७६६. २२. S. R. Rao, "Jaina Bronzes from Lilvadeva", Journal of Indian
Museums. Vol. XI, 1955 A. D., p. 33. and U. P. Shah, "Sum Bronzes from Lilvadeva ( Panch Mahals )", Bulletin of the Baroda Museum and Picture Gallery, Baroda, Vol. IX, 1952-53 A. D., pp. 43-51
and plates I-II. २३. मुनि विशालविजय, संपा०, राधनपुरप्रतिमालेखसंग्रह, भावनगर १६६० ई०,
पृ० ३, लेखांक २। मालपुरा से प्राप्त पार्श्वनाथ की धातु की एक तिथिविहीन प्रतिमा पर भी नागेन्द्रकुल का उल्लेख मिलता है। प्रो० एम० ए० ढांकी ने
इसे ई० सन् की १०-११ वीं शती का बतलाया है। २४. पं० अम्बालाल प्रेमचन्द शाह, जैन तीर्थसर्वसंग्रह, जिल्द १, भाग २, अहमदाबाद
१९५३ ई०, पृ० १७४. २५. लक्ष्मणभोजक, “जूनागढ़नी अम्बिका देवीनी धातुप्रतिमानो लेख" जैन साहित्य
के आयाम, भाग २, पं० बेचरदास दोशी स्मृतिग्रन्थ, संपा०, प्रो० एम० ए०
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