Book Title: Siddhsen Diwakar Vyaktitva evam Krutitva
Author(s): Shreeprakash Pandey
Publisher: Parshwanath Shodhpith Varanasi

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Page 32
________________ भूमिका XXI ७. देखें-प्रभावकचरित्त-प्रभाचन्द्र-सिंघी जैन ग्रन्थमाला, पृ० ५४-६१। प्रबन्धकोश (चतुर्विंशतिप्रबन्ध), राजशेखरसूरि-सिंघी जैन ज्ञानपीठ, पृ०१५-२१ । प्रबन्ध चिन्तामणि, मेरुतुंग, सिंघी जैन ज्ञानपीठ, पृ० ७-९। ८. प्रभावकचरित - वृद्धवादिसूरिचरितम्, पृ० १०७-१२० । ९. 'अनेकजन्मान्तरभग्नमान:स्सरो यशोदाप्रिय यत्पुरस्ते'--पंचम द्वात्रिंशिका ३६ । १०. देखें- सन्मतिसूत्र २/४, २/७, ३/४६ । ११. जैनसाहित्य और इतिहास पर विशद् प्रकाश - पं०जुगलकिशोर मुख्तार, पृ०५२७-५२८। १२. सन्मतिप्रकरण- सम्पादक पं०सुखलालजी एवं बेचरदास जी ज्ञानोदय ट्रस्ट, अहमदाबाद, पृ० ३६-३७। 13. Siddhasena's Nyāyāvatār and other works. A.N. Upadhye-- Introduction -- pp. xiii to zviii. १४. सुत्तासायणभीरूहि तं च दट्ठव्वयं होई । संतम्मि केवले सणम्मि णाणस्स संभवो णत्थि।। सुत्तम्मि चेव साई-अपज्जवसियं ति केवलं वुत्तं । केवलणाणम्मि य दंसणस्स तम्हा सणिहणाई ।। -सन्मतिप्रकरण, २/७-८। १५. सम्भिन्न ज्ञानदर्शनस्य तु भगवत: केवलिनो युगपत् सर्वभाव ग्राहके निरपेक्षे केवलज्ञाने केवलदर्शने चानुसमयमुपयोगो भवति। - तत्त्वार्थभाष्य १/३१ । १६. कल्पसूत्र। १७. जैन शिलालोख संग्रह, भाग २, लेख क्रमांक १४३ । 18. "The Date and authorship of Nyāyāvatra, M.A. Dhaky, 'Nirgrantha' Edited by M.A. Dhaky & Jitendra Shah, Sharadaben Chimanbhai Educational Research Centre, Ahmedabad-4. १९. अभिधर्मसमुच्चय, विश्वभारती शांतिनिकेतन १९५०, सांकथ्य परिच्छेद, पृ० १०५। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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