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समझ
1. समझ का अर्थ = जानना । इसको दांव पेच के विभाग रुप माना गया है ।
मन को कंट्रोल में करने के लिए पहले साम-दाम-फिर दंड-भेद ।
तरकीब से गलती उगल जाती है और वहीं कान पकड़ा जाता है, सीधे रुप से ठिकाने न आए तो .... ।
2. मन को ठगने की वृत्ति का वंचना कहीं कही है 'जबर्दस्ती नहीं' ।
मन को ठिकाने लाने के लिए उसको फ्री नहीं रखना अन्यथा भटकता फिरेगा । 3. मन में चंचलता किस कारण से ? वासना - - कुबुद्धि के कारण ।
Subconscious Mind (लब्धिमन) में अशुद्धि है जो चंचलता लाती है । उल्टी मान्यता चंचलता के कारण है । विचारों की स्थिरता, एकाग्रता, अंदर लाने की साधना है । * चंचल मन के पास शुभ योग में सतत परिश्रम करते रहो कि वह कहीं दौड़कर न जाए । ( हेमचंद्राचार्य - योगशास्त्र)
बुद्धि या अनुभव के द्वारा मन को Conscious करना । कंट्रोल में जरूर आएगा । धर्म के पायदान के सिद्धांत मन को जो स्वीकृत करा सको तो मन तुम्हारे अनुसार हो जाएगा ।
अनेकान्तवाद
तत्वार्थाधिगम सूत्र से - विवेचक - प. पू. राजशेखरसूरीश्वरजी म.सा.
प्रत्येक वस्तु में परस्पर विरोध धर्म रहे हुए हैं । निर्बलता भी और बल भी, विद्वान और मुर्ख, निर्भय और भयभीत । ऐसा होने से इस पर शंका उत्पन्न होती है कि क्या प्रकाश और अंधकार दोनों एक स्थान पर रह सकते हैं क्या ? यह आश्चर्य या शंका निवारण करने वाला सिद्धांत उसका नाम अनेकान्तवाद ।
अनेकान्तवाद कहता है कि परस्पर विरोधी लगते धर्म बताते हैं, जबकि ऐसे विरोधी कोई है नहीं अपेक्षा भेद से ये धर्म विरोधी है ही नहीं ।
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