Book Title: Shrut Bhini Ankho Me Bijli Chamke
Author(s): Vijay Doshi
Publisher: Vijay Doshi

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Page 398
________________ @GOOGOGOGOG@G©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®@GOGOG 10. प्रश्न व्याकरण (महा वागरणम्):- बाई भुजा समान। प्रमाण :-4,60,800 पद श्रुतस्कंध :- 1 श्रुतस्कंध है। 10 अध्ययन, 108 प्रश्न, 108 अप्रश्न, 108 प्रश्नाप्रश्न, विद्यातिशय महाचमत्कारी विद्यामंत्र । वर्णन :- बहुत से भाग वर्तमान में उपलब्ध नहीं है, हिंसा आदि 5 आश्रवों का वर्णन, अहिंसा आदि 5 संवर का वर्णन, नागकुमार आदि भुवनपति देवों के साथ वार्तालाप । 11. विपाकसूत्र (विवाग सूयम) :- गरदन समान। प्रमाण :- 92, 16,000 पद श्रुतस्कंध :- (1) दुःख विपाक श्रुतस्कंध (2) सुख विपाक श्रुत स्कंध, दोनों के 10-10 अध्ययन, युगबाहु तीर्थंकर ने दान दिया, उसका उल्लेख। वर्णन :- मृगापुत्र का अधिकार, असह्य पीड़ा से ग्रसित जीव, गौतम स्वामी देखने जाते हैं, दान धर्म की महिमा। 12. दृष्टिवाद (दिद्विवाओ):- मस्तक समान । वर्णन - अनुपलब्ध हैं। * 45-आगम में, 12 अंग + 11 उपांग + 10 पयन्ना + 6 छेद सूत्र + 4 मूल सूत्र + 2 चूलिका का समावेश किया गया है। __ 10 पयन्ना :- 1 चउसरण, 2. आतुर प्रत्याख्यान, 3. महाप्रत्याख्यान, 4. भक्त परीक्षा, 5. तंदुल वैचारिक, 6. संसारक, 7. गच्छाचार, 8. गणिविद्या, 9. देवेन्द्रस्तव, 10. मरण समाधि। 10 पयन्नाओं में प्रथम चउसरण और दूसरा आतुर प्रत्याख्यान आता है । तीर्थंकर देव द्वारा अर्थ से बताया हुआ श्रुत का अनुसरण करके प्रज्ञा प्राप्त मुनि जिसकी रचना करे उसको प्रकीर्णक अथवा पयन्ना कहते हैं । इसकी औत्पातिकी आदि चतुर्विध (चार बुद्धि : औत्पातिकी, कार्मिणी, वैनैयिकी, पारिणामिकी) बुद्धि निधान मुनिवर श्रुत अनुसार ग्रंथरूप में प्ररूपणा करते हैं (रचना करते हैं) आतुर या आऊर पच्चक्खाण में आऊर - रोग से ग्रसित आत्मा, इसमें बालमरण, बाल 909090900909090909090909003659090909090909050909090909090

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