Book Title: Shrut Bhini Ankho Me Bijli Chamke
Author(s): Vijay Doshi
Publisher: Vijay Doshi

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Page 453
________________ २७०७090909009009009090050७०७09090090909050७०७090७०७७०७०७ अरजी व्हाला सीमांधर स्वामी, अरजी आ मारी, सुणजो अंतर्यामी ओ महाविदेहना वासी, मार्ग बतावो, केम करी आq नासी ? विरति हो के अविरति प्रभु, भावना भावं भवोनी जन्मो मले अरिहंतना क्षेत्रे, उत्तम जैन कुल योनि प्रव्रज्या ग्रहूँ आठ वर्षे, तम निश्रामां, आत्म गति मोक्ष गामी व्हाला सीमंधर स्वामी, आशा करजो पूरी अंतर्यामी ... दूर-दूर वसीयो छु क्षेत्रे, ना वैभवनी ज्यां खामी, 'गारव-त्रिक' ना समरांगणमां, यत्न छतां रहूं कामी । 'श्रद्धांध' नी सुणजो अरजी, पंथ उजालो, झंखी रह्यो शिरनामी ..... व्हाला .... 'श्रद्धांध' जुलाई 2008 ७०७७०७000000000004205050905050505050505050605060

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