Book Title: Shrut Bhini Ankho Me Bijli Chamke
Author(s): Vijay Doshi
Publisher: Vijay Doshi

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Page 450
________________ JUUJJJJJJJJJJJJJJJJJJJJJJJJJG * चरणकरणानुयोग :- आचारांग सूत्र में चारित्रिक क्रिया, चारित्र की साधना और आराधना का विस्तृत वर्णन। ___ * द्रव्यानुयोग :- सूयगडांग सूत्र में द्रव्यानुयोग की मुख्यता है । द्रव्य की व्याख्या - विश्व के छ: द्रव्यों का विवरण। अन्य दर्शनों की एकांत दृष्टि, खंडन, अपूर्णता, न्यूनता । जैन दर्शन की हितकारिता, मिथ्यात्व को नष्ट करती है। * गणितानुयोग - चंद्रज्ञप्ति, सूर्यज्ञप्ति, ज्योतिष करंडक ग्रंथ में गणित की प्रधानता है। * धर्मकथानुयोग :- ज्ञान धर्मकथा, उपासक दशांग ग्रंथ में - धर्मकथाएँ हैं। चारों अनुयोग में श्रद्धा की स्थिरता के लिए द्रव्यानुयोग की मुख्यता है । आराधना साधना के लिए चरण करणानुयोग के आगम उपयोगी हैं । विश्व के पदार्थों की पहिचान के लिए गणितानुयोग के आगम और आराधना में उत्साह लाने के लिए धर्मकथानुयोग की आवश्यकता है। 12 अंग :- तीर्थंकर और गणधरों का महान उपकार .... 1. आचारांग 2. सूयगडांग 3. ठाणांग, 4. समवायांग, 5. भगवती सूत्र, 6. ज्ञाता धर्मकथा, 7. उपासक दशांग, 8. अंतगढ़ दशांग, 9. अनुत्तरोववाई दशांग, 10. विपाकसूत्र, 11. प्रश्नव्याकरण, 12. दृष्टिवाद। ७०७७०७000000000004175050905050505050505050605060

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