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* 800 रुपवान स्त्रियाँ (रखेल रूप में) को अपने मनोरंजन के लिए रखी थी। * 20000 शिकारी कुत्ते पाल रखे थे। राजदरबार का वैभव :
दरबार में 7000 गायक, 11000 गाने वाली स्त्रियाँ थी, 30,000 घोड़े, 1000 हाथी, 16000 सुखासन, 15000 पालकियाँ, 8000 नगाड़े, 300 वैद्य, 500 पंडित, 500 प्रधान, 20000 कारकून और 10000 उमराव का मालिक था।
इन सबसे अधिक प्रभु की वाणी सुनकर आत्मसात करने की शक्ति अनंतगुणी है; यह धर्म के प्रति ज्ञान उत्पन्न (समझना) हो उसके लिए ही जैन साधु भगवंत प्रवचनों में ऐसा वर्णन करते हैं।
* अकबर-बीरबल :अमेरिका में रहते हुए हम यहाँ का अनुकरण करेंगे तो पायमाली कैसी होगी ?
अकबर को बीरबल की मजाक करने की सूझी । अकबर ने कहा - मेरे को एक स्वप्न आया - मैं और तू दोनों घोड़े पर बैठ - घूमने निकले । रास्ता संकरा था। दोनों तरफ बड़े-बड़े कुण्ड थे । एक तरफ इत्र के कुंड और दूसरी तरफ विष्ट (मल) के कंड। मैं इत्र के कुंड में पड़ा और तूविष्टा के कुंड में, ऐसा कहकर बीरबल हंसने लगा। __ बीरबल ने कहा - फिर क्या हुआ ? आपका स्वप्न आगे बढ़ा या नहीं ? मुझे भी यही स्वप्न आया; दोनों जब बाहर निकले तो मैं आपको चाटने लगा और आप मुझे चाटने लगे।
समझकर अनुसरण कीजिए ताकि भावप्राणों को भस्मसात न कर सके । इस भव में करने जैसा कोई भी काम हो तो वह कर्म के बंध को तोड़ने का ही काम है । “सूत्र कृतांग" का सार 'कर्म का उच्छेद करो' कर्म की निर्जरा करके बंधन तोड़ो । मोक्ष की साधना करो, सभी एक ही हैं।
कर्म का उच्छेद कैसे होगा? 'विवेक द्वारा' । सम्यक् विवेक कर्म का उच्छेद
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