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Face Cream से Temporary युवावस्था दिखाई देती है। मगर .....
सुख साधनों में नहीं है साधना में है । धर्म की शरण में है । सूई झोपड़ी में गिर गई और बुढ़िया ढूंढ रही है बाहर तो कहाँ से मिलेगी ? अंदर ही ढूंढो ! निश्चित रुप से मिलने पर
आनंद का अनुभव होगा। ___ जैसे-जैसे आत्मा के निकट जाएंगे वैसे-वैसे सुख का अनुभव होगा। जैसे-जैसे आत्मा से दूर होंगे वैसे-वैसे दुःख का अनुभव होगा। __आत्मा के गुण, निर्विकारता, निराभिमान, तृप्ति, क्षमा आदि का प्रकट होना सुख की निशानी है।
मोक्ष में आश्चर्यअजीब ये है कि कोई भी पदार्थ के संयोग के बिना मोक्ष अवस्था अचल सुख प्रदान करती है।
नींद में से कोई उठाता है तो अच्छा नहीं लगता वह पदार्थों के संयोग बिना का बहुत ही सामान्य सुख है। दूसरा - दर्शनावरणीय कर्म के उदय से नींद आती और ऐसे ही आठों कर्म के क्षय होने पर ही मोक्ष प्राप्त होता है।
विज्ञान पूर्ण सत्य नहीं यह सत्यान्वेशी है। उससे उच्चता युक्त दसरा सत्य मिल जाए तो पूर्व में स्वीकार किए हुए सत्य को भी छोड़ देते हैं । जैन धर्म के वीतराग प्रभु ने सत्य योग से जाना है प्रयोग से नहीं, Experiment से नहीं, Experience से जानकर बताया है।
मोक्ष अर्थात् आत्मा का आरोग्य उदाहरण - बड़े भाई का शरीर निरोग था । छोटे भाई को टाईफाईड हो गया । छोटे भाई को घंटे-घंटे में फ्रूट ज्यूस मिलता है । माता-पिता उसका पूरा ध्यान रखते हैं । स्कूल जाना बंद हो गया ? काम भी नहीं कराते हैं । किन्तु बड़े भाई को सब कुछ करना पड़ता है। ___ इन दो भाइयों में सुखी कौन और दुःखी कौन ? छोटे भाई को सब कुछ मिल रहा है फिर भी सुखी तो नहीं ही कहला सकता । सब कुछ मिलने के बाद भी छोटा भाई दुःखी क्यों ? क्योंकि-रोगी है, संसारी जीव भी रोगी है इसलिए दुःखी है, उसको भूख, प्यास, इच्छाएं, भोजन की मांग, सारी सुविधा चाहिए । ये सारी सुविधा नहीं मिले तो भी निरोगी बनना ही
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