Book Title: Shravakachar Sangraha Part 1
Author(s): Hiralal Shastri
Publisher: Jain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur

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Page 14
________________ २६४ विषय-सूची दार्शनिक श्रावकका स्वरूप एवं सम्यक्त्व-माहात्म्य २३६ ब्रतिक श्रावकका स्वरूप २३८ पंच अणव्रत और उनके अतिचारोंका विस्तृत वर्णन २३८ सात शीलोंका सविचार विस्तृत वर्णन । २४२ मद्य-मांसादिके भक्षण और द्यूतक्रीडाका निषेध २५१ खदिरसारके काक-मांस-भक्षण त्यागके माहात्म्यका वर्णन २५२ मद्यपानके दोष-दर्शन एवं यादव-विनाशका वर्णन २५४ सामायिकादि शेष प्रतिमाओंका वर्णन २५५ गृहस्थके इज्या, वार्ता, दत्ति, स्वाध्याय, संयम और तप इस षट् आर्य-कर्मोंका निरूपण - २५८ साधुओंके ऋषि, यति, मुनि, अनगार भेदोंका वर्णन २५९ सल्लेखनाका सातिचार वर्णन २६० अमितगति-श्रावकाचार २६३-४२१ पंच परमेष्ठि-स्मरण, सरस्वती-वन्दन २६३ मनुष्य भवकी महात्ताका निरूपण धर्मकी महत्ता बताकर उसे धारण करनेका उपदेश २६५ मिथ्यात्वके भेदोंका वर्णन कर उसे छोडनेका उपदेश २७२ सम्यक्त्व-प्राप्तिकी योग्यता और प्रथमोपशम सम्यक्त्वकी प्राप्तिका क्रम-निरूपण २७५ सम्यक्त्वके शंष भेदोंका वर्णन २७७ सम्यक्त्वका माहात्म्य-निरूपण २७८ जीवादि सप्त तत्त्वोंका विस्तृत विवेचन २८१ आत्माके अस्तित्वकी सिद्धि २९१ सर्वज्ञ-सिद्धि ईश्वरके जगत्-कर्तब्यका खंडन अष्ट-मूलगुणोंका विस्तृत विवेचन रात्रिभोजनके दोष दिखाकर उसके त्यागका उपदेश ३०७ श्रावकके बारह व्रतोंका वर्णन अहिंसाणुव्रतका विस्तृत विवेचन ३१३ सत्याणुव्रतका विवेचन ३१७ अचौर्याणुव्रत और ब्रह्मचर्याणब्रतका निरूपण ३१८ परिग्रह परिमाणाणुव्रतका निरूपण ३१९ दिग्वतादि तीनों गुणवतोंका वर्णन ३२० सामायिकादि चारों शिक्षाव्रतोंका तथा सल्लेखनाका वर्णन ३२१ उक्त व्रतोंके, सम्यक्त्वके और सल्लेखनाके अतीचार ३२२ तीन शल्योंका विस्तृत वर्णन कर उनके त्यागका उपदेश २९६ २९९ ३०२ ३१२ ३२५ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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