Book Title: Shravak Ke Char Shiksha Vrat Author(s): Balchand Shreeshrimal Publisher: Sadhumargi Jain View full book textPage 6
________________ [ २ ] अभाव के कारण यह क्रियाएँ वर्त्तमान समय में प्रायः अर्थ शून्य हो रही हैं। अतः यह पुस्तक श्रावक जीवन में नया ही आत्म-बल संचार करेगी ऐसी आशा है । नियमानुसार यह पुस्तक अखिल भारतवर्षीय श्री श्वेताम्बर स्थानकवासी जैन कॉन्फ्रेन्स ऑफिस, बंबई द्वारा साहित्य निरीक्षक समिती से प्रमाणित कराली गई है और उनकी तरफ से मिली हुई सूचनाओं के अनुसार उचित संशोधन भी कर दिये गये हैं । मण्डल द्वारा प्रकाशित पुस्तकों की कीमत केवल कागज और छपाई की लागत के अन्दाज से रक्खी जाती है और अन्य किसी प्रकार के खर्च का भार पुस्तक पर नहीं डाला जाता है, इस कारण इस मण्डल द्वारा प्रकाशित पुस्तकों का मूल्य अन्य संस्थाओं की पुस्तकों की अपेक्षा बहुत ही कम होता है । फिर भी सर्व साधारण इसका विशेष रूप से लाभ उठा सके, इस भावना से प्रेरित होकर देशनोक ( जिला - बीकानेर ) निवासी श्रीमान् सेठ सुगनचन्दजी अबीरचन्दजी साहिब भूरा ने आधी लागत अपने पास से देकर इस पुस्तक को अर्द्ध मूल्य में वितरण कराई है । एतदर्थ आपकी उदारवृत्ति के लिये प्रशंसा करते हुए युरोपीय महायुद्ध के कारण कागज और छपाई के साधन महँगे होते हुए भी इस पुस्तक का अर्द्ध मूल्य केवल तीन आने ही रक्खे गये हैं । Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.comPage Navigation
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