Book Title: Shastra Sandesh Mala Part 14
Author(s): Vinayrakshitvijay
Publisher: Shastra Sandesh Mala

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Page 276
________________ तह कुगहरेणुमुक्कं दंसणरयणं तु जायए विमलं / तन्निग्गहाउ दंसण-सुद्धीउ जायए धम्मो धम्माउ मोक्खसोक्खं अखंडं जायए जणाणेत्थ / जइ एयत्थी तो पयरणे कुणह सग्गाहं // 314 // जाव जिणसासणमिणं एवं जीवाणुसासणं ताव / नंदउ लोए सिद्धंत-जुत्तिसारं कुमयहरणं // 315 // पंडत्तणाभिमाणेण विरइयं नेय किंतु इय बोहो। धम्मरयपुव्वसूरीण चिट्ठिए जंति जइ जीवा // 316 // बिंबपइट्ठा 1 पासत्थनमण 2 पडिक्कमण 3 वदणं 4 नंदी 5 / दाणनिसेहो 6 तह माल 7 पडिम 8 अविहीअणुट्ठाणं 9 // 317 // सिद्धबलि 10 पढमपासत्थ 11 चेइविहि 12 सूरि 13 संघनिंदं च 14 / पासत्थखेत्त 15 नाणड्ढनंद 16 गुरुगच्छ 17 चागं च 18 // 318 // बंभाइपूय 19 उस्सग्गपढण 20 बलहीणं 21 अविहिगमणं च 22 / मलनिंद 23 सड्ढिवक्खाण 24 सड्ढनमणं 25 च उलग्गं 26 // 319 // संजइकहणं 27 जिणकुसुमपूयर् 28 सुद्धग्गह च 29 तवनिंदा 30 / वइचेइ 31 मिच्छ 32 अपमाणवेस 33 असंजया 34 // 320 // पाणे 35 चारित्तसत्त 36 आयरण 37 गुणथुइ 38 एए होति / अडतीसा अहिगाराउ इमम्मी जीवस्स गुणाणुसासणे विमले // 321 // समईए एत्थ नो किं पि किन्तु ज दिठें कप्पववहारे / पंचकप्पे निसीहे. दसासुए पयरणाईसु // 322 // देसवसुसूररीसाहिंसाइवनकहियनामेहि / पयरणमिणमो रइयं तेवीसातिन्निसयगाहं // 323 // अणहिल्लवाडनयरे जयसिंहनरेसम्मि विज्जते / दोहट्टिवसहिट्ठिएहि वासट्ठी-सूर-नवमीए // 324 // 200

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