Book Title: Shastra Sandesh Mala Part 14
Author(s): Vinayrakshitvijay
Publisher: Shastra Sandesh Mala
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________________ न य मज्झ कोइ दोसो, सयले वा इत्थ जीवलोगम्मि। दंसणनाणसहावो, इक्कोहं निम्ममो निच्चं // 36 // जिणं सिद्धा सरणं मे, साहू धम्मो अ मंगलं परमं / को TII कम्पवयं कारणं होड जिण नवकारो सरणं, कम्मखयं कारणं होइ ... // 37 // इय खामणा य एसा, चउगइमावत्रयाण जीवाणं। भावविसुद्धीइ महा,-कम्मखर्य कारणं होई // 38 // // 2 // . पू.आ.श्रीदेवसूरिकृतः ॥गुरुविरहविलापः॥ निव्वाणगमणकल्लाणवासरे जस्स मुक्कपोक्कारं / सुरसामिणो वि कंदंति वंदिमो तं जिणं वीरं जगगुरुगोयरनेहेण निहणिओ जस्स केवलालोओ। कह कह वि समुब्भूओ तं गोयमगणहरं सरिमो गुरुचरणसरोवररायहंसलीलं धरिंसु जे सीसा। ते वइरसामिपमुहा पयओ पणमामि तिविहेणं सिरिवीरजिणेसरतित्थजलहिउल्लासपुनिमायंदं / अइजच्चचरणतवनाणलच्छिमयरहरसारिच्छं मिच्छत्तमोहमंडलविहडणघणपवणपूरसंकासं। कासकुसुमालिनिम्मलजसभरपरिभरियभुवणयलं भुवणयलवित्तसुपवित्तविबुहसेविज्जमाणपयपउमं / / पउमद्दहं व पंचप्पयारआयारकमलाणं // 3 // // 4 // // 6 // 94
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