Book Title: Shastra Sandesh Mala Part 14
Author(s): Vinayrakshitvijay
Publisher: Shastra Sandesh Mala
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________________ अन्ने वि भावरिउणो हासाई संघडंतदढकलिणो। चारित्तमहामोग्गरपहारदाणेण ते निहया // 19 // मच्छररहियं परिहासवज्जियं गलियइंदियवियारं / भवनिव्वेयपहाणं जयउ जए तुह सया चरियं // 20 // भोगतिसापामापरिगयाण जीवाण परमविज्जेणं / रयणत्तयतिहलाए तुमए नीरोगया विहिया // 21 // भावरिउदवा नलदूमियाइं भवियाण माणसवणाई। सत्थीकयाइं तुमए धम्मामयवारिवाहेणं // 22 // सुविहियचरियाधरिणी पमायपायालमूलमल्लीणा। ... पुरिसुत्तमेण तुमए मुणिवइ ! लीलाइ उद्धरिया // 23 // नाणारयणाई जुगवं तुमए दावितएण भव्वाणं / निव्वाणनयरमग्गो पायडिओ परमकरुणेणं * // 24 // सीलालवालबंधो धम्मतरू सग्गमोक्खफलफलिरो। सुहभावणाजलेणं अहिसित्तो सो. तए सामि ! // 25 // तं जयउ चिंतयकुलं जयम्मि सिरिउदयसेलसिहरं व। भव्वजियकमलबंधव ! जम्मि तुमं तमहरो जाओ // 26 // सच्चं महग्घिया सा महग्घिया चरमजलहिवेल व्व। मोत्तियमणि व्व जीए तं फुरिउ उयरसिप्पिउडे // 27 // सा दब्भनयरीनयरसेहरत्तं सया समुव्वहउ। जीए तुह पुरिससेहर ! जम्मदिणमहामहो जाओ // 28 // जसभद्दो सो सूरी जसं च भदं च निम्मलं पत्तो। चिंतामणि व्व जेणं उवलद्धो नाह ! तं सीसो // 29 // सिरिविणयचंदअज्झावयस्स पाया जयंतु विझस्स। जेसु तुह आसि लीला गयकलहस्सेव भद्दस्स - // 30 // 26
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