Book Title: Shastra Sandesh Mala Part 14
Author(s): Vinayrakshitvijay
Publisher: Shastra Sandesh Mala

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Page 318
________________ कुरु भक्तिं गुण(जग)दीशे, तदागमे गुरुषु विदिततत्त्वेषु / अपवर्गोपरि रागं; संसारोपरि विरागं च // 72 // तत्किमपि कुरु विदित्वा, सद्गुरुतो ज्ञानमुत्तमं ध्यानम् / / येनेह पूज्यसें त्वं, परत्र मुक्तिं समाप्नोषि // 73 // यत्र न जरा न मरणं, न भवो न च परिभवो न च क्लेशः / योगक्रियया ज्ञानात्, ध्यानादासाद्यते मुक्तिः // 74 // मत्वैवं कलिसारं, संसारमनित्यतां च जगतोऽस्य / ज्ञानयुतं ध्यानं कुरु, लभसे येनाक्षयं मोक्षम् // 75 // इति पार्श्वनागविरचित-मनुशासनमात्मनो विभावयताम् / सम्यग्भावेन नृणां, न भवति दुःखं कथञ्चिदपि द्वयलचत्वारिंशत्, समधिकवत्सरसहस्रसङ्ख्यायाम् / भाद्रपदपूर्णिमास्यां बुधोत्तरा भाद्रपदिकायाम् // 77 // // 76 // 306

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