Book Title: Shastra Sandesh Mala Part 14
Author(s): Vinayrakshitvijay
Publisher: Shastra Sandesh Mala
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________________ पत्ताई पाविती पाविज्जंती य बहूणि बहवो वि। परिभवपयाई पुरिसा ते जे विसयामिसपसत्ता // 104 // मन्नइ तणं पिव जगं संदेहपयम्मि पविसइ भयम्मि। मरणस्स वि देइ उरं अपत्थणिज्जं पि पत्थेइ // 105 // लंघंति समुदं भीसणं पि साहंति घोरवेयालं / किं बहुणा? विसयकए पविसंति जमाणणे वि नरा // 106 // गरुयं पि हु परिवज्जिय कज्जं विसयाउरो मुहुत्तेणं / तं कुणइ जेण हासो जावज्जीवं जए होइ // 107 // ववसइ पिउणो वि वहं बंधुं सत्तुं व मन्नई मूढो / होइ अनिद्धकज्जो विसयगहपरिगओ पुरिसो // 108 // विसया अणत्थपंथो विसया माहप्पलुंपगा पावा। . विसया लहुत्तपयडी अकंडविहुरकया विसया // 109 // विसया अवमाणपयं विसया मालिनकारणमवग्गं / . विसया दुहिक्कहेऊ इहपरभवबाहगा विसया // 110 // खलइ मणो गलइ मई परिहायइ पोरिसं पि पुरिसस्स / विसयासत्तस्स गुरूवइट्ठमिटुं पि वीसरइ // 111 // सा जाई तं च कुलं सा कित्ती भुवणभूसणपयंडा। जइ ता विसयपसत्ती ता फुसि वामपाएण . // 112 / / जिणवयणदक्खचक्खू वि पिक्खए पिक्खणिज्जभावे ता / जा नऽज्ज वि विसयपसत्तिलक्खणा नीलिमा न भवे // 113 // धम्माभिप्पायपईवओ मणोमंदिरम्मि ता फुरइ / जावज्जवि विसयपसत्तिलक्खणा नेइ वाऊली // 114 // सव्वन्नुवयणपोओ ता भवजलहिउत्तारणसमत्थो / विसयप्पसंगपवणो जावज्जवि नावकूलेइ // 115 // . 287
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