Book Title: Shastra Sandesh Mala Part 06
Author(s): Vinayrakshitvijay
Publisher: Shastra Sandesh Mala
________________ // 1 // // 2 // महोपाध्यायश्रीधर्मसागरगणिविरचितम् ॥व्याख्यानविधिशतकम् // णमिऊण महावीरं, जिणवयणं अत्थवायगं गहिउं / सुत्तरयणाइ रइयं, जह णायं तह पवक्खामि अत्थं भासइ अरहा, सुत्तं गंथंति गणहरा निउणं / . सासणस्स हिअट्ठाए, तओ.सुत्तं पवत्तइ सव्वेसिं सुत्ताणं, सामाइअसुत्तमाइमज्झयणं / तस्साइपयं तु णमो-अरिहंताणं समयसिद्धं . // 3 // गणहररइयं सुत्तं, लक्खणजुत्तं हविज्ज णियमेण / तल्लक्खणं तु आगम-भणिअं तह किंचि दंसेमि अप्पग्गंथ 1 महत्थं २.बत्तीसा दोसविरहिअं 3 जं च / लक्खणजुत्तं सुत्तं 4, अट्ठहि अ गुणेहि उववेअं अलिअ 1 मुवघायजणयं 2, इच्चाइअसंधिदोसपज्जंता / बत्तीसा सुत्तदोसा; भणिआ णिज्जुत्तिअणुओगे .. एवंविहसुत्तस्स उ, तिहिं पयारेहिं होइ अणुओगो। कायव्वो सुगुरूहिं, सोअव्वो णिउणसीसेहिं / सुत्तत्थो खलु पढमो, बीओ णिज्जुत्तिमीसओ भणिओ। तइयो अ णिरवसेसो, एस विही होइ अणुओगे // 8 // तत्थणुओगो पढमो, पढमपयस्सेव पुव्वभणियस्स / सुपसिद्धो इअराणं, दंसेमि दिसं पि तस्सेव // 9 // जो णिज्जुत्तीजुत्तो, बीओ भणिओ अ सुत्तअणुओगो। . सा णिज्जुत्ती तिविहा, सुपसिद्धा होइ जिणसमए तासु उवुग्घायभिहा, णिज्जुत्ती सव्वसुत्तसामण्णा / उद्देसाइ छव्वीस दारगाहाहि ताउ इमा // 11 // 250 // 6 // // 7 // // 10 //
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