Book Title: Shastra Sandesh Mala Part 06
Author(s): Vinayrakshitvijay
Publisher: Shastra Sandesh Mala
________________ जह केइ सुकुलवहुणो सीलं मइलंति लिंति कुलनाम। मिच्छत्तमायरंत वि वहंति तह सुगुरुकेरित्तं // 7 // उस्सुत्तमायरंत वि ठवंति अप्पं सुसावगत्तम्मि। ते रुद्दरोरघत्थ वि तुलंति सरिसं धणड्डेहिं // 73 // किविकुलकमम्मि रत्ता किविरत्ता सुद्धजिणवरमयम्मि। इय अंतरम्मि पिच्छह मूढा नायं न याणंति / 74 // संगो वि जाण अहिओ तेसिं धम्माई जे पकुव्वंति / मुत्तूण चोरसंगं करंति ते चोरियं पावा . // 75 // जत्थ पसुमहिसलक्खा पव्वे हम्मंति पावनवमीए। पूंजंति तं पि सड्डा हा हीला वीयरागस्स // 76 // जो गिहकुटुंबसामी संतो मिच्छत्तरोवणं कुणइ। तेण सयलो वि वंसो पक्खित्तो भवसमुद्दम्मि . // 77 // कुंडचउत्थी नवमी बारसीइ पिंडदाणपमुहाई। मिच्छत्तभावगाइ कुणंति तेसिं न सम्मत्तं . // 78 // जह अइकुलम्मि खुत्तं, सगडं कढंति केइ धुरधवला / तह मिच्छाओ कुडुंब इह विरला केइ कटुंति जह बद्दलेण सूरं महियलपयडं पि नेय पिच्छंति / : मिच्छत्तस्स य उदए तहेव न नियंति जिणदेवं // 80 // किं सो वि जणणिजाओ जाओ जणणीइ किं गओ विद्धि। जइ मिच्छरओ जाओ गुणेसु तह मच्छरं वहइ // 81 // वेसाण बंदियाण य माहणडुंबाण जक्खसिक्खाणं। .. भत्ता भक्खट्ठाणं विरयाणं जंति दूरेण // 82 // सुद्धे मग्गे जाया सुहेण गच्छंति सुद्धमग्गम्मि। जं पुण उम्मग्गजाया पग्गे गच्छंति तं चुज्जं // 83 // 206 // 79 //
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