Book Title: Shastra Sandesh Mala Part 06
Author(s): Vinayrakshitvijay
Publisher: Shastra Sandesh Mala
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________________ सक्को भवन्ति भणिओ मुणिओ जेणाउयप्पमाणेण / पुढेण निगोयाणं वि वण्णणा जेण निद्दिट्ठा // 45 // हरिसंभरनिब्भरेणं हरिणा जो संथुओ महासत्तो / जेण सपयम्मि सूरी वि ठाविओ गुणिसु बहुमाणो - // 46 // रक्खियचरित्तरयणं पयडियजिणपवयणं प्पसंतमणं / वंदामि अज्जरक्खियमलक्खियंतं खमासमणं // 47 // तयणुजुगपवरगुणिणो जाया जायाणं जे सिरोमणिणो / सन्नाणचरणगुणरयणजलहिणो पत्तसुयनिहिणो // 48 // परवादिवारवारणवियारणे जे मियारिणो गुरुणो। . . . . ते सुगहियनामाणो सरणं मह हंतु जइ पहुणो // 49 // पसमरइपमुहपयरणपंचसया सक्कया कया जेहिं। पुव्वगयवायगाणं तेसिमुमासाइनामाण // 50 // पडिहयपडिवक्खा णं पयडीकयपणयपाणिसुक्खाणं / पणमामि पायपउमं विहिणा विणएण निच्छउमं // 51 // जाइणिमहयरियावयणसवणओ पत्तपरमनिव्वेओ। भवकारागाराओ साहंकाराओ नीहरिओ // 52 // सुगुरुसमीवोवगओ तदुत्तसुत्तोवएसओ जो उ। पडिवन्नसव्वविरइ तत्तरुई तत्थ विहियरई // 53 // गुरुपारतंतउवगतगणिपओ वि मुणिय जिणमयं सम्मं / मयरहिओ सपरहियं काउमणो पयरणे कुणइ // 54 // चउदससयपयरणगो निरुद्धदोस सया हयप्पओसो। . हरिभद्दो हरियतमो हरि व्व जाओ जुगप्पवरो // 55 // उइयम्मि मिहिरि भदं सुदिविणो होइ मग्गदसणओ। पा तह हरिभद्दायरिए भद्दायरियम्मि उदयमिए .. // 56 // 288
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