Book Title: Shastra Sandesh Mala Part 06
Author(s): Vinayrakshitvijay
Publisher: Shastra Sandesh Mala

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Page 305
________________ उवमिजंते सन्तो संतोसमुवविति जम्मि नो सम्मं / असमाणगुणो जो होइ कहणु सो पावए उवमं // 141 // जलहिजलमंजलीहिं जो मिणइ नहंगणं वि हु पएहिं / परिसकइ सो वि न सकइ त्ति जा गुणगणं भणिउं // 142 // जुगपवरगुरुजिणेसरसीसाणं अभयदेवसूरीणं / तित्थभरधरणधवलाणमंतिए जिणमयं विमयं // 143 // सविणयमिह जेण सुंअं सप्पणयं तेहि जस्स परिकहियं / कहियाणुसारओ सव्वमुवगयं सुमइणा सम्म // 144 // निच्छम्मं भव्वाणं तं पुरओ पयडियं पयत्तेण / . अकयसुकयंगिदुल्लहजिणवल्लहसूरिण जेण // 145 // सो मह सुहविहिसद्धम्मदायगो तित्थनायगो अ गुरू / तप्पयपउमं पाविअ जाओ जायाणुजाओहं // 146 // तमणुदिणं दिण्णगुणं वंदे जिणवल्लहं पहुं पयओ / सूरिजिणेसरसीसो अ वायगो धम्मदेवो जो .. // 147 // सूरी असोगचंद्दो हरिसीहो सव्वदेवगणिप्पवरो / सव्वे वि तविणेया तेसिं सव्वेसिं सीसोहं // 148 // ते मह सव्वे परमोवयारिणो वंदणारिहा गुरुणो। कयसिवसुहसंपाता तेसिं पाए सया वंदे // 149 // जिणदत्तगणिगुणसयं सपण्णयं सोमचंदबिंबं व / भव्वेहिं भणिज्जंतं भवरविसंतावमवहरउ // 150 // 27

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