Book Title: Shastra Sandesh Mala Part 06
Author(s): Vinayrakshitvijay
Publisher: Shastra Sandesh Mala

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Page 304
________________ विमलगुणचक्कवाया वि सव्वहा विहाडिया वि संघहिया / भमरेहि पि भमरेहिं पि पावओ सुमणसंजोगो . // 129 // भव्वजणेण जग्गिय-मवग्गियं दुट्ठसावयगणेण / जड्डमवि खंडियं मंडियं य महिमंडलं सयलं // 130 // अत्थमई संकलंको सया ससंको वि दंसियपओसो / दोसोदये पत्तपहो तेण समं सो कहं हुज्जा // 131 // संजणियविही संपत्तगुरुसिरी जो सया विसेसपयं / विण्णु व्व किवाणकरो सुरपणओ धम्मचक्कधरो // 132 // दंसियवयणविसेसो परमप्पाणं य मुणइ जो सम्म / पयडिविवेओ छच्चरणसम्मओ चउमुहु व्व जए // 133 // धरइ न कवड्डयं पि कुणइ न बंधं जडाणमवि कयाइ / दोसायरं य चक्कं सिरम्मि न चडावए कया पि // 134 // संहरइ न जो सत्तो गोरीए अप्पए नो नियमगं / सो कह तव्विवरीएण संमुणा सह लहिज्जुपमा // 135 // साइसएसु सग्गं गयेसु जुगप्पवरसूरिनिअरेसु / सव्वाओ विज्जंगाओ भुवणं भमिऊण संताओ // 136 // तह वि न पत्तं पत्तं जुगवं जव्वयणपंकए वासं / करिय परुप्परमच्चंतपणयओ हुंति सुहिआओ // 137 // अण्णुण्णविरहविहुरोहतत्तगत्ताओ ताओ तणाइओ। जायाओ पुण्णवसा वासपयं पि जो पत्ता // 138 // तं लहिअ विअसिआओ ताओ तव्वयणसररुहगयाओ। तुट्ठाओ पुट्ठाओ समगं जायाओ जिट्ठाओ // 139 / / जाया कइणो के के न सुमइणो परमिहोवमं ते वि। .. पावंति न जेण समं समंतओ सव्वकव्वेण णिउं // 140 // 25

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