Book Title: Shastra Sandesh Mala Part 06
Author(s): Vinayrakshitvijay
Publisher: Shastra Sandesh Mala

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Page 302
________________ मुद्धाणाययणगया चुक्का मग्गाओ जायसंदेहा / बहुजणपिट्ठि विलग्गा दुहिणो हूया समाहूआ : // 105 // दंसियमाययणं तेसिं जत्थ विहिणा समं हवइ मेलो / गुरुपारतंतओ समयसुत्थओ जस्स निप्फत्ती // 106 // दीसइ य वीयराओ तिलोयनाओ विरायसहिएहि / सेविज्जंतो संतो हरई तु संसारसंतावं // 107 // वाइयमुपगीयं नट्टमपि सुयं दिटुं चिट्ठमुत्तिकरं / कीरइ सुसावएहिं सपरहियं समुच्चियं जुत्तं // 108 // रागोरगो वि नासइ सोउं सुगुरुवदेसमंतपए / भव्वमणो सालुरं नासई दोसो वि जत्थाहि // 109 // नो जत्थुस्सुत्तजणक्कमो त्थि पहाणं बलिपइट्ठा य / जइजुवइपवेसो वि अ न विज्जए विज्जइविमुक्को // 110 // जिणजत्ताण्हाणाई दोसाणं यक्खयाय कीरेन्ति। . दोसोदयंमि कह तेर्सि संभवो भवहरो होज्जा . // 111 / / जा रत्ति जारस्थिणमिह रई जणइ जिणवरगिहे वि / सा स्यणी रयणिअरस्स हेउ कह नीरयाणं मया // 112 // साहु सयणासणभोअणाइं आसायणं च कुणमाणो / देवह रएण लिप्पइ देवहरे जमिह निवसंतो . // 113 // तंबोलो तं बोलइ जिणवसहिट्ठिएण जेण ख़द्धों / खद्धे भवदुक्खजले तरइ विणा नेअ सुगुरुतरिं // 114 // तेसि सुविहिअजइणो य दंसिआ जे उ हुंति आययणं / सुगुरुजणपारतंतेण पाविया जेहिं णाणसिरी // 115 // संदेहकारितिमिरेण तरलिअं जेसि दंसणं नेय / निव्वुइपहं पलोअन्ति गुरुविज्जुवएसओसहओ // 116 // 23

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