Book Title: Shastra Sandesh Mala Part 06
Author(s): Vinayrakshitvijay
Publisher: Shastra Sandesh Mala

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Page 295
________________ // 21 // - // 22 // // 23 // // 24 // // 25 // // 26 // तस्स कणिटुं लटुं अज्जसुहत्थिं सुहत्थिजणपणयं / अवहत्थियसंसारं सारं सूरि समणुसरिमो अज्जसंमुदं जणयं सिरीइ वंदें समुद्दगंभीरं / तह अज्जमंगुसूरि अज्जसुधम्मं य धम्मरयं मणवयणकायगुत्तं तं वंदे भद्दगुत्तगणनाहं / जइ जिमइ जई जम्मंडलीए पत्तों मरइ तेहिं समं छमासिएण सुकयाणुभावओ जायजाइसरणेणं / परिणामओ णवज्जा पव्वज्जा जेण पडिवत्ता तुंबवणासंनिवेसे जाएणं नंदणेणं नंदाए / धणगिरिओ तणएणं तिहुयणपभुपणयचरणेणं इग्गारसंगपाढो कओ दढं जेण साहुणीहितो। तस्स ज्झायज्झयणुज्जएण वयसा छवरिसेणं सिरिअज्जसीहगिरिणा गुरुणा विहिओ गुणाणुरागेणं / लहुओ वि जो गुरुकओ नाणदाणओ सेससाहूणं उज्जेणीए गहिअव्वओ लहगुज्झगेहिं वरिसंते। जो सुजइ त्ति निमंतियपरिक्खिओ पत्ततविज्जो उद्धरिया जेण पयाणुसारिणा गयणगामिणीविज्जा / सुमहापईन्नपुवाओ सव्वहा पसमरसिएण दुक्कालम्मि दुवालसवरिसयम्मि सीयमाणे संघम्मि / विज्जावलेणं माणियमन्नं जेणन्नक्खित्ताओ सुररायचायविब्भमभमुहाधणुमुक्कनयणबाणाए / कामग्गिसमीरणविहियपत्थणावयणघट्टणाए लटुंगपइट्ठाए सिट्ठिसुयाए विसिट्ठचिट्ठाए। .. गुणगणसवणाओ जस्स दंसणुकंट्ठियमणाए 286 // 27 // // 28 // // 29 // // 30 // // 32 //

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