Book Title: Shastra Sandesh Mala Part 06
Author(s): Vinayrakshitvijay
Publisher: Shastra Sandesh Mala
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________________ // 9 // // 10 // // 11 // // 12 // // 13 // // 14 // मणपरमोहिपमुहाणि परमपुरपट्टिएण जेण समं / समईक्कंताणि समत्तभव्वजणजणियसुक्खाणि तं जंबुनामनामं सुहम्मगणहारिणो गुणसमिद्धं / सीसं सुसीसनिलयं गणहरपयपालयं वंदे संपत्तवरविवेयं वयत्थिगिहिजंबुनामवयणाओ / पालिययुगपवरपयं पभवायरियं सया वन्दे कट्ठमहो परमो यं तत्तं न मुणिज्जइ त्ति सोऊणं / सज्जंभवंभवाओ विरत्तचित्तं नमसामि संजणियपणयभदं जसभदं मुणिगणाहिवं सगुणं / संभूयं सुहसंभूईभायणं सूरिमणुस्सरिमो. सुगुरुतरणीइ जिणसमयसिंधुणो पारगामिणो सम्मं / सिरिभद्दबाहुगुरुणो हियए नामक्खराणि धरिमो सो कहं न थूलभद्दो लहइ सलाहं मुणीणं मझम्मि। . लीलाइ जेण हणिओ सरहेण व मयणमयराओ . कामपईवसिहाए कोसाए बहुसिणेहभरिआए / घणदड्डजणपयंगाए वि जीए जो झामिओ नेया जेण रविणेव विहिए इह जणगिहे सप्पहं पयासंती / सययं सकज्जलग्गा पहयपहा सा सणिद्धा वि . जेणासु साविया साविया चरणकरणसहिएण / . . सपरेसिं हियकए सुकयजोगउ जोगयं दृढ़ तमपच्छिमं चउद्दसपुव्वीणं चरणनाणसिरिसरणं / सिरिथूलभद्दसमणं वंदे हं मत्तगयगमणं विहिया अणगूहियविरियसत्तिणा सत्तमेण संतुलणा / जेणाज्जमहागिरिणा समईक्कंते वि जिणकप्पे 285 // 15 // // 16 // // 17 // // 18 // // 19 // // 20 //
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