Book Title: Shastra Sandesh Mala Part 06
Author(s): Vinayrakshitvijay
Publisher: Shastra Sandesh Mala

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Page 289
________________ // 120 // // 121 // // 122 // // 123 // // 125 // // 125 // बीया य सत्तरहिया धणसयणाईहिं मोहिया लुद्धा / सेवंति पावकम्मं वावारे उयरभरणढे तइया अहमाण अहमा कारणरहिया अन्नाणगव्वेण / जे जंपंति उसुत्तं धिद्धी पंडित्तणं ताणं जं वीरजिणस्स जिओ मरियभवुस्सुत्तलेसदेसणओ। सागरकोडाकोडी हिंडड़ अइभीमभवगहणे ता जे इमं पि वयणं वारंवारं सुणित्तु समयम्मि। दोसेण अवगणित्ता उस्सुत्तपयाई सेवंति ताण कहं जिणधम्मो कह नाणं कह दुहाण वेरग्गं / कूडाभिमाणपंडियनडिया नरयम्मि बुडंति दियनटिया नरयम्मि बडडंति मा मा जंपइ बहुयं जे बद्धा चिक्कणेहिं कम्मेहिं / सव्वेसि तेसिं जायइ हिअ उवएसो महादोसो हिययम्मि ये कुसुद्धा ते किं बुज्झंति सुद्धवयणेहिं / ता नाणकए गुणिणो निरत्थयं दमहि अप्पाणं .. दूरे करणं दूरे पसाहणं तह पभावणा दूरे। . जिणधम्मसद्दहाणं पि तिक्खदुक्खाई निट्ठवइ कइया होहि दिवसो जइया हं सुगुरुपायमूलम्मि। उस्सुत्तलेसविसलव-रहिओ निसुणेमि जिणधम्म दिट्ठा वि के वि गुरुणो हियए न रमंति मुणियतत्ताणं। के वि पुण अदिट्ठच्चिय रमंति जिणवल्लहो जेम अजया अइपाविट्ठा सुद्धगुरूजिणवरिंदतुल्ल त्ति। . जो एवं इह मण्णइ सो विमुहो सव्वधम्मस्स जो तं वंदसि पुज्जसि वयणं हीलेसि तस्स एण। .. ता कह वंदसि पुज्जसि जणवायठिई पि न मुणेसि // 126 / / // 127 // // 128 // // 129 / / // 130 // // 131 // 280

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