Book Title: Shastra Sandesh Mala Part 06
Author(s): Vinayrakshitvijay
Publisher: Shastra Sandesh Mala

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Page 266
________________ // 59 // // 60 // // 61 // // 62 // // 63 // // 64 // अणुवायाणं विसया, सद्धाऽणुट्ठाणवायगवयाइं। . पइमग्गं भिन्नाई, तेहिं विवाओ अ सव्वेसिं अणुवाओ निअवयणं, सम्माइविसेसणेहिं संजुत्तो। तं भासगमासज्ज उ, सच्चमसच्चं च भावाओ जह परतिस्थिअवयणं, अणुवयणं होइ जिणवरिंदस्स। मिच्छ त्ति वयणजुत्तं, जिणवयणं सव्वओ सच्चं एवं जिणिंदवयणाणुवायरहिया दिगंबरप्पमुहा / णिज्जुत्तिसण्णिएणं, तित्थेणुग्घोसिआ बाढं तेसिं सव्वेसिं चिअ, णिअणिअमग्गा हवंति तित्थाई / सेसं सव्वमतित्थं, इय बुद्धी सासया तेसिं एएणं सव्वेसि, एगो तित्थगरो त्ति दुव्वयणं / सव्वेसिं तित्थाणं, आइगरा हुंति तित्थयरा तेसि तित्थयरा पुण, सिवभूइप्पमुह णाम आइगरा / वीरजिणो अम्हाणं, तित्थयरोतं मह असच्चं णिअपरतित्थगरत्ता, तित्थयरो णेव तेसिं वीरजिणो। णिअतित्थं अण्णाओ, अण्णमतित्थं ति सद्दहणा जो अण्णाओ जाओ, अण्णं पिअरं व अण्णतित्थयरं / जंपइ लोअविरुद्धं, अलज्जओ अहव गयसण्णो वीरजिणेणं ठविअं, तित्थमतित्थं ति भासगा संव्वे। माया मे वंज्झ त्ति अ, वयणविरोहं ण याणंति वीरजिणो जइ देवो, तित्थयरत्तेण तुम्हमम्हं व। ता तट्ठविअंतित्थं, सेसमतित्थं सओ सिद्धं लोइयदेवसरूवा, चंदप्पहमाइणो ण गुरुरूवा / सीसत्ताभावाओ, गुरूवएसस्सणायत्ता - 250 // 65 // // 66 // // 67 // // 68 // // 69 // // 70 //

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