Book Title: Shastra Sandesh Mala Part 06
Author(s): Vinayrakshitvijay
Publisher: Shastra Sandesh Mala

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Page 271
________________ // 12 // नयभंगप्पमाणेहिं, जो अप्पा सायवायभावेण। मुणई मोक्खसरुवं, सम्मदिट्ठी य सो नेओ दसणभट्ठो भट्ठो, दंसणभट्ठस्स नत्थि निव्वाणंः। सिझंति चरणरहिया, दंसणरहिया न सिझंति // 13 // जा गट्ठी ता पढम, गंट्ठीसमइत्थओ भवे बीअं। अनियट्टीकरणं पुण, सम्मत्तपुरक्खडे जीवे // 14 // सदसद्विसेसणाओ, भवहेउजहच्छिओवलंभाओ। . नाणफलाभावाओ, मिच्छादिट्ठिस्स अनाणं // 15 // जो जाणइ अरिहंते, दव्वत्तगुणत्तपज्जयत्तेहि। ... सो जाणइ अप्पाणं, मोहो खलु जाइ तस्स लयं नाणाहिओ वरतरं, हीणो वि हु पवयणं पभावंतो। न य दुक्करं करंतो, सुट्ट वि अप्पागमी पुरिसो // 17 // हयं नाणं कि[रि]या हीणं, हया अन्नाणओ कि[रि]या। ... पासंतो पंगुलो दड्डो, धावमाणो अ अंधओ .. // 18 // जहा खरो चंदणभारवाही, भारस्स भागी न हु चंदणस्स। एवं खु नाणी चरणेण हीणो, नाणस्स भागी न हु सुग्गइए // 19 // नाणं पयासगं सोहओ तवो संजमो य गुत्तीकरो। तिण्हि वि समाओगो, मुक्खो जिणसासणे भणिओ // 20 // चरणकरणप्पहाणा, ससमय-परसमय-मुक्कवावारा / चरणकरणस्स सारं, निच्छयं सुद्धं न याणंति // 21 // जइ जिणमयं पवज्जह, ता मा ववहारं निच्छए मुअह / एकेण विणा तित्थं, छिज्जई अन्नेण उ तच्चं (तं?) // 22 // वय समण-धम्म संजम, वेयावच्चं च बंभगुत्तीओ। नाणाइतियं तव कोहाइनिग्गहो चरणमेयं // 23 // 22

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