Book Title: Shastra Sandesh Mala Part 06
Author(s): Vinayrakshitvijay
Publisher: Shastra Sandesh Mala
________________ // 24 // // 25 // // 26 // // 27 // // 28 // // 29 // पिंडविसोही समिई, भावण पडिमा य इंदियनिरोहो / पडिलेहणगुत्तीओ, अभिग्गहो चेव करणं तु . सामाइयमाईअं, सुयनाणं जाव बिंदुसाराओ। सारो तस्स वि चरणं, सारो चरणस्स निव्वाणं परदव्वरओ बज्झइ, विरओ मुंचेइ अट्ठकम्मेहिं / एसो जिण-उवएसो, समासओ बंध-मोक्खस्स सम्मत्तरयणभट्ठा, जाणंता बहुविहा वि सत्थाई / सुद्धाराहणरहिआ, भमंति तत्थेव तत्थेव मिच्छप्पवाहे रत्तो, लोओ परमत्थजाणणो थोवो। गुरुणो गारवरसिआ, सुद्धं मग्गं निग्गुहति उस्सुत्तभासगाणं, बोहीनासो अणंतसंसारो / पाणच्चये वि धीरा, उस्सुत्तं ता न भासंति रोसो वि खमाकोसो, सुत्तं भासयंतस्स धन्नस्स। उस्सुत्तेण खमाविय, दोसो महामोह-आवासो इकेण दुब्भासिएण, मरीई (वि) दुक्खसायरं पत्तो। भमिओ कोडाकोडी, सायरं सिरि नामधिज्जेण कत्थ अम्हारिसा पाणी, दुसमादोसदुसिआ। हा ! अणाहा कहं हुंता, ज़ न हुतो जिणागमो जगगुरुजिणवरवयणं, सयलाण जिवाण होइ हियकरणं / ता तस्स बिराहणया, कह धम्मो कह णु जीवदया जीवाईंसदहणं, सम्मत्तं तेसिमहिगमो नाणं / रागाईपरिहरणं, चरणं एसो दु मुक्खपहो गुणाणमासओ दव्वं, एगदव्वस्सिआ गुणा / लक्खणं पज्जवाणं तु, उभओ निस्सिआ भवे // 30 // // 31 // // 32 // // 34 // // 35 // .293
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